....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
माँ का आह्वान
अतुलनीय मां महिमा तेरी, वर्णन की मेरी शक्ति नहीं ।
परम-ब्रह्म के साथ युक्त हो, श्रिष्टि रचना करती हो ,
रक्षक-पालक तुम हो जग की,जग को धारण करती हो।
ब्रह्मा, विष्णु, महेश मां तेरी इच्छा से तन धारण करते ,
महा-शक्ति तेरी स्तुति की, जग में क्षमता-शक्ति नहीं।
----परम शक्ति मां……..||
तुच्छबुद्धि तुझ पराशक्ति के ओर-छोर को क्या जाने,
ममतामयी रूप तेरा ही, माता वह तो पहचाने ।
तेरे नव-रूपों के भावों पर, अगाध श्रद्धा से भर,
करें अनुसरण और कीर्तन, इससे बढकर भक्ति नहीं ।
-----परम शक्ति मां……||
मां आगमन करो इस घर में, हम पूजन,गुण-गान करें,
धूप, दीप, नैवैध्य समर्पण, कर तेरा आह्वान करें ।
इन नवरात्रों में मां आकर, हम सबका कल्याण करो,
धरें शीश तेरे चरणों पर, इससे बढकर मुक्ति नहीं ॥
----परम शक्ति मां…… ||
5 टिप्पणियां:
आपको भी नवरात्र की बधाईयाँ।
बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने! हर एक शब्द लाजवाब है! शानदार प्रस्तुती!
आपको एवं आपके परिवार को नवरात्रि पर्व की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !
धन्यवाद बबली जी व पांडे जी...नवरात्र की शुभकामनाएं ..
माँ दुर्गा की स्तुति स्वरुप आपकी बढ़िया रचना पढ़ने को मिली.
मेरे ब्लॉग पर आपके दर्शन हुए,कृतज्ञ हूँ.
धन्यवाद कुशुमेश जी....आभार...
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