....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
सत्कर्म के प्रसार -प्रचार में यदि एक व्यक्ति भी कहीं प्रयासरत है तो निश्चय ही इसे घटाटोप अंधकार में एक दीप जलाना समझा जाना चाहिए और एक सराहनीय प्रयास | एसा ही एक अभिनव प्रयास
बैगलूर स्थित अपार्टमेन्ट प्रेस्टिज शान्तिनिकेतन के कुछ सक्रिय निवासियों द्वारा '
हरिओम मंडल ' की स्थापना करके किया जारहा है |
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प्रेस्टिज शान्तिनिकेतन |
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क्लब हाउस |
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हरिओम मंडल की सदविचारयुक्त दैनिक प्रार्थना |
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क्लब हाउस में हरिओम मंडल के सदस्य प्रार्थना करते हुए |
इस मंडल का नित्य कर्म प्रातः ०६-६३० से मिलकर भ्रमण, बेडमिन्टन आदि खेलना, योग करना व अंत में भजन -ध्यान, गीत गाना-सुनना आदि रहता है, जो मूलतः तो
स्वांत सुखाय है परन्तु निश्चय ही वातावरण में सदविचारों का प्रसार करता है |
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सदस्यगण योग क्रियाएं करते हुए |
श्री इंदौर के रतन चंद सुराना , नैनीताल के श्री जोशी, राजस्थान से होते हुए चेन्नई से आये श्री प्रकाश सुराना , महाराष्ट्र के श्री रूपवाल , हरियाणा से श्री ओपी गुप्ता , बनारस से श्री एम् पी मिश्रा आदि , देश के विभिन्न स्थानों व विभिन्न सामाजिक /व्यवसायिक क्षेत्रों से आये व्यक्ति -माता-पिता, पेरेंट्स , बेंगलूर में कार्यरत अपने बच्चों के साथ बेंगलूर में रह रहे हैं | एसे ही क्रियाशील लोगों ने यह हरिओम मंडल स्थापित किया है जो लगभग ६०-७० वर्ष की वय के हैं | यह प्रयास स्वयं उन्हें तो सतत क्रियाशील रखता ही है,
आचरण - ह्रास के इस युग में वातावरण को भी सदाचरण की और लेजाने के प्रयास में एक बिंदु की स्थापना करता है |
2 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर, सार्थक प्रस्तुति, आभार.
सुन्दर प्रयास..
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