....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
तब---
हमारे कवि,कविता, नायक / महानायक व बच्चा -बच्चा इच्छा करता था कि ----
" देश राष्ट्र की आन हित
मरेंगे हज़ार बार "
"मुझे तोड़ लेना बनमाली ,
और उस पथ पर देना फैंक ।
मातृभूमि की लाज बचाने ,
जिस पथ जाएँ वीर अनेक ।।"
"माँ मुझे भी सैनिक बनादो,
वर्दी सिलादो, बन्दूक लादो ।"
अब---
हमारा कवि , कविता, महानायक इच्छा करता है कि......
"यदि जन्म दुबारा मिले तो ,
गेंद का, बल्ले का, पिच का हिस्सा बनूँ मैं ।
चूरा चूरा चूना होना भी मुझे मंजूर है ।"
----है न वाह ! वाह ! करने की बात......... कहाँ जारहे हैं हम..कहाँ पहुँच गए हम...
तब---
हमारे कवि,कविता, नायक / महानायक व बच्चा -बच्चा इच्छा करता था कि ----
" देश राष्ट्र की आन हित
मरेंगे हज़ार बार "
"मुझे तोड़ लेना बनमाली ,
और उस पथ पर देना फैंक ।
मातृभूमि की लाज बचाने ,
जिस पथ जाएँ वीर अनेक ।।"
"माँ मुझे भी सैनिक बनादो,
वर्दी सिलादो, बन्दूक लादो ।"
अब---
हमारा कवि , कविता, महानायक इच्छा करता है कि......
"यदि जन्म दुबारा मिले तो ,
गेंद का, बल्ले का, पिच का हिस्सा बनूँ मैं ।
चूरा चूरा चूना होना भी मुझे मंजूर है ।"
----है न वाह ! वाह ! करने की बात......... कहाँ जारहे हैं हम..कहाँ पहुँच गए हम...
11 टिप्पणियां:
सामयिक , सार्थक पोस्ट.
कृपया मेरे ब्लॉग"meri kavitayen" की नयी पोस्ट पर भी पधारें
बाजार का प्रभाव है यह..
दन्त हीन जब हो गया, ख्वाहिश गन्ना खाय ।
जब तक नाडी दम रहे, तब तक नहीं बुझाय ।
तब तक नहीं बुझाय, कैरियर खूब बनाया ।
लम्बी रेखा खीँच, जया-विजया तब पाया ।
बड़ी प्रीमियर लीग, नहीं घाटे का सौदा ।
बनिया बच्चन रीझ, बनाने चला घरौंदा ।।
I P L का बहिष्कार
BCCI क्लब है तो IPL गली
आप यहाँ हैं ?? या --
पीयल झूमूँ रात दिन, फुर फुर-सतिया लाल ।
अजगर करे न चाकरी, केवल करे बवाल ।
केवल करे बवाल, लगा किरकेट का चस्का ।
बैठो विकसित देश, नहीं यह तेरे बस का ।
काम काज सब छोड़, मस्त आई पी एल घूमूं ।
नाचे साठ करोड़, साथ मैं पीयल झूमूँ ।।
यहाँ हैं ??
मंत्री मस्का मारता, बोर्ड भरे ना टैक्स ।
सबको चस्का है लगा, भारत खूब रिलैक्स ।
भारत खूब रिलैक्स, अरब से अरब वसूले ।
सट्टा बाजी मस्त, ब्रांड सत्ता भी झूमें ।
करता ना कल्याण, डुबाता सकल घरेलू ।
आई पी एल का खेल, यार रविकर क्यूँ झेलूं ।।
--भारत खूब रिलैक्स....सुन्दर ..रविकर जी..
धन्यवाद पान्डे जी..उचित कथन...सब बाज़ार की ही तो बात है...
धन्यवाद शुक्ला जी...
वाह!!!!ये भी खूब रही बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति,बेहतरीन पोस्ट,....
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: मै तेरा घर बसाने आई हूँ...
धन्यवाद धीरेन्द्र जी...
यह उत्कृष्ट प्रस्तुति
चर्चा-मंच भी है |
आइये कुछ अन्य लिंकों पर भी नजर डालिए |
अग्रिम आभार |
FRIDAY
charchamanch.blogspot.com
dhanyavaad ravikar ji
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