....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
लोफर..... लघु कथा ........डा श्याम गुप्त...
'एक ब्रेड देना ।'
दूकान पर बैठे हुए सुन्दर ने ब्रेड देते हुए कहा ,' पांच आने ।'
'लो, तीन आने लुटाओ ।' अठन्नी देते हुए रूपल ने कहा ।
लुटाओ या लौटाओ, सुन्दर ने उस के चहरे की तरफ घूर कर देखते हुए पैसे उसके हाथ पर रख दिए ।
' लोफर ।'
रूपल बड़े वकील साहब सक्सेना साहब की तीसरी बेटी थी, तेरह वर्ष की । आर के सक्सेना जी पीछे गली में बड़े फाटक वाली 'सक्सेना-हवेली' में रहते थे । वकील साहब के दादा-परदादा शायद मुग़ल दरवार में लेखानवीस थे अतः बड़े फाटक वाली हवेली मिली हुई थी । अंगरेजी राज में वे वकील साहब बन कर बड़े साहब थे । वकालत तो अब बस चलती ही थी, पुरुखों की जायदाद के किराए से ही गुजर बसर होजाती थी। परन्तु नक्श-नखरे अब भी वही बड़े साहब वाले थे। केपस्टन की सिगरेट फूंकना, उजले कपडे पहनना, लड़के लड़कियां अंग्रेज़ी स्कूल में ही पढ़ते थे व अंग्रेज़ी में बोलने में ही शान समझते थे ।
हवेली के बाज़ार की तरफ दुकानें बनी हुईं थी । उन्हीं में से एक दूकान में सुन्दर के पिता की जनरल स्टोर व स्टेशनरी की दुकान थी। सुन्दर कक्षा पांच का छात्र था और कभी-कभी दुकान पर बैठ जाया करता था । वह सनातन धर्म पाठशाला में पढ़ता था । कभी-कभी वकील साहब की सिगरेट या किराया देने को हवेली के अन्दर भी चला जाया करता था ।
शाम को दुकान के पीछे वाली गली में जाते हुए समय फाटक से निकलती हुई रूपल उसे नज़र आई । सुन्दर ने हंसते हुए कहा, ' लुटाओ नहीं लौटाओ ।'
हट, लोफर ! रूपल ने हिकारत से कहा ।
लोफर का क्या मतलब होता है ? सुन्दर पूछने लगा ।
' बदमाश ' हटो सामने से बाबूजी से शिकायत करूँ !
क्या मैं बदमाश दिखाई देता हूँ ?
और क्या, लोफर की तरह लड़की की तरफ घूर कर देखते हो ।
अच्छा लड़कियों को घूरकर देखने वाले को लोफर कहते हैं । उससे क्या होता है । लो नहीं देखता । अब जब दुकान पर आना तो लौटाना ही कहना...हिन्दी में लौटाना या लौटाओ कहा जाता है ।
' शट अप' वह दौड़कर अपने घर में घुस गयी ।
अगले दिन रूपल ब्रेड लेने आयी ब्रेड लेकर बोली, 'पैसे लौटाओ ।' सुन्दर मुस्कुराकर बोला, ' ठीक, फिर कहने लगा, ' मैंने अंग्रेज़ी की किताब में देखा था ' लोफ ' ब्रेड को कहते हैं तो लोफर ..रोटी माँगने वाला हुआ न। रोटी तो तुम रोज लेने आती हो तो तुम लोफर......।
' शट अप', पैसे लौटाओ ।
सुन्दर पैसे देते हुए बोला ,' क्या तुम्हें अंग्रेज़ी के सिर्फ दो ही शब्द बोलने आते हैं ...लोफर ..और शट-अप ..।
' यू फूल '
अरे वाह ! अच्छा तुम्हारा अंग्रेज़ी में नाम क्या है ।
गुस्से से लाल होती हुई रूपल के मुख से निकला...
.'लोफर "
लोफर..... लघु कथा ........डा श्याम गुप्त...
'एक ब्रेड देना ।'
दूकान पर बैठे हुए सुन्दर ने ब्रेड देते हुए कहा ,' पांच आने ।'
'लो, तीन आने लुटाओ ।' अठन्नी देते हुए रूपल ने कहा ।
लुटाओ या लौटाओ, सुन्दर ने उस के चहरे की तरफ घूर कर देखते हुए पैसे उसके हाथ पर रख दिए ।
' लोफर ।'
रूपल बड़े वकील साहब सक्सेना साहब की तीसरी बेटी थी, तेरह वर्ष की । आर के सक्सेना जी पीछे गली में बड़े फाटक वाली 'सक्सेना-हवेली' में रहते थे । वकील साहब के दादा-परदादा शायद मुग़ल दरवार में लेखानवीस थे अतः बड़े फाटक वाली हवेली मिली हुई थी । अंगरेजी राज में वे वकील साहब बन कर बड़े साहब थे । वकालत तो अब बस चलती ही थी, पुरुखों की जायदाद के किराए से ही गुजर बसर होजाती थी। परन्तु नक्श-नखरे अब भी वही बड़े साहब वाले थे। केपस्टन की सिगरेट फूंकना, उजले कपडे पहनना, लड़के लड़कियां अंग्रेज़ी स्कूल में ही पढ़ते थे व अंग्रेज़ी में बोलने में ही शान समझते थे ।
हवेली के बाज़ार की तरफ दुकानें बनी हुईं थी । उन्हीं में से एक दूकान में सुन्दर के पिता की जनरल स्टोर व स्टेशनरी की दुकान थी। सुन्दर कक्षा पांच का छात्र था और कभी-कभी दुकान पर बैठ जाया करता था । वह सनातन धर्म पाठशाला में पढ़ता था । कभी-कभी वकील साहब की सिगरेट या किराया देने को हवेली के अन्दर भी चला जाया करता था ।
शाम को दुकान के पीछे वाली गली में जाते हुए समय फाटक से निकलती हुई रूपल उसे नज़र आई । सुन्दर ने हंसते हुए कहा, ' लुटाओ नहीं लौटाओ ।'
हट, लोफर ! रूपल ने हिकारत से कहा ।
लोफर का क्या मतलब होता है ? सुन्दर पूछने लगा ।
' बदमाश ' हटो सामने से बाबूजी से शिकायत करूँ !
क्या मैं बदमाश दिखाई देता हूँ ?
और क्या, लोफर की तरह लड़की की तरफ घूर कर देखते हो ।
अच्छा लड़कियों को घूरकर देखने वाले को लोफर कहते हैं । उससे क्या होता है । लो नहीं देखता । अब जब दुकान पर आना तो लौटाना ही कहना...हिन्दी में लौटाना या लौटाओ कहा जाता है ।
' शट अप' वह दौड़कर अपने घर में घुस गयी ।
अगले दिन रूपल ब्रेड लेने आयी ब्रेड लेकर बोली, 'पैसे लौटाओ ।' सुन्दर मुस्कुराकर बोला, ' ठीक, फिर कहने लगा, ' मैंने अंग्रेज़ी की किताब में देखा था ' लोफ ' ब्रेड को कहते हैं तो लोफर ..रोटी माँगने वाला हुआ न। रोटी तो तुम रोज लेने आती हो तो तुम लोफर......।
' शट अप', पैसे लौटाओ ।
सुन्दर पैसे देते हुए बोला ,' क्या तुम्हें अंग्रेज़ी के सिर्फ दो ही शब्द बोलने आते हैं ...लोफर ..और शट-अप ..।
' यू फूल '
अरे वाह ! अच्छा तुम्हारा अंग्रेज़ी में नाम क्या है ।
गुस्से से लाल होती हुई रूपल के मुख से निकला...
.'लोफर "
5 टिप्पणियां:
' यू फूल अरे वाह ! अच्छा तुम्हारा अंग्रेज़ी में नाम क्या है ।
गुस्से से लाल होती हुई रूपल के मुख से निकला....'लोफर "
सुंदर लघु कथा , ,.....
MY RECENT POST.....काव्यान्जलि.....:ऐसे रात गुजारी हमने.....
achchi laghu kahani apni bhasha hindi ke rahe na english ke always confused
achcha kataksh hai.
धन्यवाद धीरेन्द्र जी एवं राजेश जी...
वाह, बहुत ही प्यारी।
Thanx pande ji..
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