....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
शैतान यह सब देखकर बहुत अप्रसन्न हुआ| उसने दूत को बुलाकर डांटा,’ यह क्या होरहा है? इस प्रकार तो हमारा अस्तित्व ही समाप्त होजायगा | जाओ, शीघ्र ही स्थिति को सुधारों वर्ना किसी और को पृथ्वी का प्रधानमंत्री बनाने का मन बनालूँगा और तुम्हें रौरव-नर्क का राज्यपाल बना दिया जायगा|
ईश्वर ने जब माँ को बनाया तो
समीप खड़े हुए देवदूत ने अभिभूत होकर कहा, ’प्रभु ! यह तो जगत की सर्वोत्कृष्ट,
सर्वश्रेष्ठ, सर्वसौन्दर्यमय, सर्वगुणसम्पन्न एवं स्वयं विशिष्टता व गुणों का अवतार
है | अब तो आप निश्चिन्त होंगे कि यह कायनात निश्चय ही सदा दैवीय गुणों से
परिपूर्ण रहेगी |
ईश्वर ने कहा, ‘ हाँ आशा तो
यही है|’ ईश्वर के ललाट पर कुछ चिंता की सलवटें भी थीं |
वार्तालाप शैतान व उसका दूत भी
सुन रहा था | शैतान चिंतित होते हुए दूत से बोला ,’ स्थिति पर ठीक से दृष्टि रखो|’
वर्षों बीत गए | स्त्री-पुरुष
सदाचरण-युक्त जीवन व्यतीत कर रहे थे| बच्चे माँ के पयामृत-पान से धीर, वीर, गंभीर,
ज्ञानवान, आचारवान, आस्थावान व बड़ों के आज्ञाकारी, कोमलमना होते थे| सर्वत्र धर्म,
न्याय, सत्य का चलन था एवं सुख-शान्ति थी | स्त्री-पुरुष लिंगानुपात-बिंदु अर्थात
स्त्री/पुरुष = १ ही रहता था|
शैतान यह सब देखकर बहुत अप्रसन्न हुआ| उसने दूत को बुलाकर डांटा,’ यह क्या होरहा है? इस प्रकार तो हमारा अस्तित्व ही समाप्त होजायगा | जाओ, शीघ्र ही स्थिति को सुधारों वर्ना किसी और को पृथ्वी का प्रधानमंत्री बनाने का मन बनालूँगा और तुम्हें रौरव-नर्क का राज्यपाल बना दिया जायगा|
कुछ वर्षों बाद दूत राजधानी
आया और प्रसन्नता पूर्वक शैतान को निरीक्षण का आमंत्रण दिया|
शैतान ने देखा कि सर्वत्र पृथ्वी
पर ऊंची-ऊंची इमारतें खड़ी हुई हैं| बड़े-बड़े मॉल हैं| सर्वत्र मशीनों से काम
होरहा है| इंसान आसमान में उडकर एक स्थान से दूसरे स्थान जाता है| मानव-कृत झीलों
में नहाता है| स्वयं अपने हाथ से कोई काम नहीं
करता बस खूब धन कमाता है व ऐश करता है| मौज-मस्ती में लिप्त है| परन्तु चारों और
अशांति है, द्वंद्व-द्वेष में जकडा हुआ है| धन के लिए चोरी, लूट, झगड़ा, ह्त्या,
डकैती की गलाकाट प्रतियोगिता है| भ्रष्टाचार, अनाचार, स्त्रियों से दुर्व्यवहार, मारपीट,
बलात्कार की बाढ़ आई हुई है|
वाह! बहुत खूब | परन्तु यह सब क्यों होने लगा ?
शैतान ने खुश होकर पूछा | दूत मुस्कुराते हुए शैतान को विशेष-निरीक्षण
...साईट-इन्सपेक्शन पर ले गया | शैतान देखने लगा....
एक घर में बेटे ने बूढ़े
माँ-बाप को घर से निकाल दिया था | वे किसी भी तरह दर-दर की ठोकरें खाते हुए अपना
गुजारा कर रहे थे |
एक बेटे ने अपने माँ-बाप
को ओल्ड-एज होम में भरती कर दिया था व मेनेजर प्रतिवर्ष जन्म-दिवस आदि पर बेटे की ओर से उन्हें भेंट भिजवा दिया करता था |
एक देश में माँ व बेटा
साथ-साथ अपने-अपने गर्ल-फ्रेंड व बॉय-फ्रेंड के साथ सार्वजनिक स्थान पर बिकनी में स्नान
कर रहे थे |
जगह-जगह युवाओं को धर्म,
विज्ञान, शास्त्र , साहित्य की बजाय – मैनेजमेंट कैसे करें व खूब धन कैसे कमाएँ के
प्रवचन दिए जारहे थे |
एक स्थान पर बेटा, बेटी व
माँ-बाप बैठकर टीवी पर 'शीला की जवानी' गाना सुन रहे थे।
यह आम रिवाज़ हो चला था कि
पति-पत्नी कन्या-भ्रूण को जन्म से पहले ही गर्भपात करवा देते थे, जिसे एवोर्शन कहा
जाता था | स्त्री-पुरुष, युवक-युवती साथ-साथ तो रहते थे बिना विवाह के परन्तु
संतान कौन पालेगा व केरियर के नाम पर गर्भपात करा रहे थे | स्त्री-पुरुष का लिंगानुपात
-बिंदु भी एक से काफी नीचे चला गया था |
शैतान ने कुछ समाचार-पत्रों
में समाचारों का भी अवलोकन किया......
--- एक देश के राष्ट्रपति ने पुरुष-पुरुष विवाह, स्त्री-स्त्री विवाह को जायज़
बताया |
---बेटे ने पत्नी के कहने पर माँ की ह्त्या की |
---पांच बच्चों की माँ द्वारा प्रेमी
के साथ मिलकर तीन बच्चों व पति की ह्त्या |
---पति द्वारा उत्प्रीणन से तंग आकार माँ ने बच्चों की ह्त्या के बाद आत्महत्या
करली |
शैतान ने दूत की पीठ ठोकी और पूछ ,’ यह सब
तुमने कैसे किया ?’
दूत ने बताया –---मैंने सिर्फ स्त्रियों को पुरुषों की बराबरी हेतु, धन कमाने,
फैशन व फिगर की चिंता-चर्चा में लगा दिया, साथ ही डिब्बे के दूध का आविष्कार कराया
तथा युवाओं -पुरुषों को पत्नियों से नौकरी
कराने के लाभ बताए | ताकि माँ बच्चों को कम से कम दूध पिलाए व संतान को माँ का कम
से कम समय मिले | संतान में संस्कार न जाने पायें |
बाकी सारा कार्य तो इंसान ने
स्वयं ही- मशीनों, ब्लू-फिल्म व नित्य नए मनोरंजन के साधनों का आविष्कार करके व धर्म को अफीम व आडम्बर, शास्त्रों को अर्थहीन,
प्रगति में रोड़ा व धीमी सोच के लिए मज़बूर करने वाला मानकर त्याज्य कहकर, कर दिया |
3 टिप्पणियां:
सच कहा आपने, शैतान की ही नजर लगी है हम सबको..
बढ़िया प्रस्तुति |
आभार |
अच्छी लगी व्यंग्य में समाज के अभिजात्यीकरण की परिकल्पना ।
मेरी पोस्ट पर आपकी सटीक एवं सार्थक टिप्पणी के लिए धन्यवाद ।
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