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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

सोमवार, 14 मई 2012

कहानी --- माँ........ डा श्याम गुप्त ....

                              ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...

 
                      
         ईश्वर ने जब माँ को बनाया तो समीप खड़े हुए देवदूत ने अभिभूत होकर कहा, ’प्रभु ! यह तो जगत की सर्वोत्कृष्ट, सर्वश्रेष्ठ, सर्वसौन्दर्यमय, सर्वगुणसम्पन्न एवं स्वयं विशिष्टता व गुणों का अवतार है | अब तो आप निश्चिन्त होंगे कि यह कायनात निश्चय ही सदा दैवीय गुणों से परिपूर्ण रहेगी |
       ईश्वर ने कहा, ‘ हाँ आशा तो यही है|’ ईश्वर के ललाट पर कुछ चिंता की सलवटें भी थीं |

       वार्तालाप शैतान व उसका दूत भी सुन रहा था | शैतान चिंतित होते हुए दूत से बोला ,’ स्थिति पर ठीक से दृष्टि रखो|’

        वर्षों बीत गए | स्त्री-पुरुष सदाचरण-युक्त जीवन व्यतीत कर रहे थे| बच्चे माँ के पयामृत-पान से धीर, वीर, गंभीर, ज्ञानवान, आचारवान, आस्थावान व बड़ों के आज्ञाकारी, कोमलमना होते थे| सर्वत्र धर्म, न्याय, सत्य का चलन था एवं सुख-शान्ति थी | स्त्री-पुरुष लिंगानुपात-बिंदु अर्थात स्त्री/पुरुष = १ ही रहता था|


       शैतान यह सब देखकर बहुत अप्रसन्न हुआ| उसने दूत को बुलाकर  डांटा,’ यह क्या होरहा है? इस प्रकार तो हमारा अस्तित्व ही समाप्त होजायगा | जाओ, शीघ्र ही स्थिति को सुधारों वर्ना किसी और को पृथ्वी का प्रधानमंत्री  बनाने का मन बनालूँगा और तुम्हें रौरव-नर्क का राज्यपाल बना दिया जायगा|

      कुछ वर्षों बाद दूत राजधानी आया और प्रसन्नता पूर्वक शैतान को निरीक्षण का आमंत्रण दिया|

      शैतान ने देखा कि सर्वत्र पृथ्वी पर ऊंची-ऊंची इमारतें खड़ी हुई हैं| बड़े-बड़े मॉल हैं| सर्वत्र मशीनों से काम होरहा है| इंसान आसमान में उडकर एक स्थान से दूसरे स्थान जाता है| मानव-कृत झीलों में नहाता है| स्वयं अपने हाथ से कोई  काम नहीं करता बस खूब धन कमाता है व ऐश करता है| मौज-मस्ती में लिप्त है| परन्तु चारों और अशांति है, द्वंद्व-द्वेष में जकडा हुआ है| धन के लिए चोरी, लूट, झगड़ा, ह्त्या, डकैती की गलाकाट प्रतियोगिता है| भ्रष्टाचार, अनाचार, स्त्रियों से दुर्व्यवहार, मारपीट, बलात्कार की बाढ़ आई हुई है|

      वाह! बहुत खूब | परन्तु यह सब क्यों होने लगा ? शैतान ने खुश होकर पूछा | दूत मुस्कुराते हुए शैतान को विशेष-निरीक्षण ...साईट-इन्सपेक्शन पर ले गया | शैतान देखने लगा....

      एक घर में बेटे ने बूढ़े माँ-बाप को घर से निकाल दिया था | वे किसी भी तरह दर-दर की ठोकरें खाते हुए अपना गुजारा कर रहे थे |

          एक बेटे ने अपने माँ-बाप को ओल्ड-एज होम में भरती कर दिया था व मेनेजर प्रतिवर्ष जन्म-दिवस आदि पर बेटे की ओर से उन्हें भेंट भिजवा दिया करता था |

         एक देश में माँ व बेटा साथ-साथ अपने-अपने गर्ल-फ्रेंड व बॉय-फ्रेंड के साथ सार्वजनिक स्थान पर बिकनी में स्नान कर रहे थे |

         जगह-जगह युवाओं को धर्म, विज्ञान, शास्त्र , साहित्य की बजाय – मैनेजमेंट कैसे करें व खूब धन कैसे कमाएँ के प्रवचन दिए जारहे थे |

        एक स्थान पर बेटा, बेटी व माँ-बाप बैठकर टीवी पर 'शीला की जवानी' गाना सुन रहे थे।

         यह आम रिवाज़ हो चला था कि पति-पत्नी कन्या-भ्रूण को जन्म से पहले ही गर्भपात करवा देते थे, जिसे एवोर्शन कहा जाता था | स्त्री-पुरुष, युवक-युवती साथ-साथ तो रहते थे बिना विवाह के परन्तु संतान कौन पालेगा व केरियर के नाम पर गर्भपात करा रहे थे | स्त्री-पुरुष का लिंगानुपात -बिंदु भी एक से काफी नीचे चला गया था |

             शैतान ने कुछ समाचार-पत्रों में समाचारों का भी अवलोकन किया......

--- एक देश के राष्ट्रपति ने पुरुष-पुरुष विवाह, स्त्री-स्त्री विवाह को जायज़ बताया  |
---बेटे ने पत्नी के कहने पर माँ की ह्त्या की |
---पांच बच्चों की माँ द्वारा  प्रेमी के साथ मिलकर तीन बच्चों व पति की ह्त्या |
---पति द्वारा उत्प्रीणन से तंग आकार माँ ने बच्चों की ह्त्या के बाद आत्महत्या करली |

           शैतान ने दूत की पीठ ठोकी और पूछ ,’ यह सब तुमने कैसे किया ?’

          दूत ने बताया –---मैंने सिर्फ स्त्रियों को पुरुषों की बराबरी हेतु, धन कमाने, फैशन व फिगर की चिंता-चर्चा में लगा दिया, साथ ही डिब्बे के दूध का आविष्कार कराया तथा  युवाओं -पुरुषों को पत्नियों से नौकरी कराने के लाभ बताए | ताकि माँ बच्चों को कम से कम दूध पिलाए व संतान को माँ का कम से कम समय मिले | संतान में संस्कार न जाने पायें |

       बाकी सारा कार्य तो इंसान ने स्वयं ही- मशीनों, ब्लू-फिल्म व नित्य नए मनोरंजन के साधनों का आविष्कार करके व  धर्म को अफीम व आडम्बर, शास्त्रों को अर्थहीन, प्रगति में रोड़ा व धीमी सोच के लिए मज़बूर करने वाला मानकर त्याज्य कहकर, कर दिया |

3 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सच कहा आपने, शैतान की ही नजर लगी है हम सबको..

रविकर ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुति |
आभार |

pushpi ने कहा…

अच्‍छी लगी व्‍यंग्‍य में समाज के अभिजात्‍यीकरण की परिकल्‍पना ।

मेरी पोस्‍ट पर आपकी सटीक एवं सार्थक टिप्‍पणी के लिए धन्‍यवाद ।