....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
प्रभु ने जो यह जगत बनाया
प्रभु ने जो यह जगत बनाया ,
सो प्रभु पूजन योग बनाया |
इसकी पूजा, प्रभु की पूजा ,
जग में प्रभु, प्रभु जगत समाया | ---प्रभु ने जो ....||
प्रभु को बंदे कहाँ खोजता,
जन -जन के मन बीच समाया |
जिसने प्रभु के जग को जाना,
सो प्रभु के मन मांहि समाना |
सब जग प्रभु की छाया-माया ,
सो प्रभु पूजन जोग बनाया | -----प्रभु ने जो यह....||
कर्म करे नर, फल की इच्छा -
छोड़े प्रभु पर, मान ले शिक्षा |
गीता, श्रुति, पुराण सब गाया ,
कर्म हेतु यह नर तन पाया |
कर्म हेतु प्रभु जगत बनाया ,
सो प्रभु पूजन जोग बनाया | ---- प्रभु ने जो यह.....|
प्रभु ने जो यह जगत बनाया
प्रभु ने जो यह जगत बनाया ,
सो प्रभु पूजन योग बनाया |
इसकी पूजा, प्रभु की पूजा ,
जग में प्रभु, प्रभु जगत समाया | ---प्रभु ने जो ....||
प्रभु को बंदे कहाँ खोजता,
जन -जन के मन बीच समाया |
जिसने प्रभु के जग को जाना,
सो प्रभु के मन मांहि समाना |
सब जग प्रभु की छाया-माया ,
सो प्रभु पूजन जोग बनाया | -----प्रभु ने जो यह....||
कर्म करे नर, फल की इच्छा -
छोड़े प्रभु पर, मान ले शिक्षा |
गीता, श्रुति, पुराण सब गाया ,
कर्म हेतु यह नर तन पाया |
कर्म हेतु प्रभु जगत बनाया ,
सो प्रभु पूजन जोग बनाया | ---- प्रभु ने जो यह.....|
1 टिप्पणी:
बहुत सुन्दर विचार और उनका काव्यात्मक प्रस्तुतीकरण..
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