....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
ललित त्रिभंगी रूप में, राधा संग गोपाल ,
निरखि निरखि सो भव्यता होते श्याम निहाल |
या कदम्ब तरु छाँह के, भाग सराहें श्याम,
सेवे, चितवे युगल छवि, नित राधा घनश्याम |
श्याम शांत चित सौम्य शुचि , यमुना तट की भोर,
अजहूँ चिंतन चित चकित, चित चितवे चित चोर |
फूल हिंडोला पालना नृत्य गान श्रृंगार ,
पंचामृत संग भोग-सुख,नित आनंद विचार |
लीला भूमि जो लाल की, जो ब्रजभूमि कहाय ,
परसि श्याम जेहि रज किये, सकल कलुष कटि जायं |
तिर्यक भाव औ कर्म को, मन लावै नहिं कोय |
मन लावे तो मन बसे, श्याम त्रिभंगी सोय |
कृष्ण-मुरारी उर बसे, चित में लिए रमाय,
नित-नित दर्शन मैं करूं, नैनन पलक झुकाय |
इन नैनन में बस रहे, राधा, नंद किशोर,
पलकों की चिक डाल कर,मन हो दर्श विभोर |
नित्य रूप-रस जो पिए, दर्शन कर घनश्याम ,
परमानंद प्रतीति हो, जीवन धन्य सकाम ||
--- चित्र गूगल साभार ...
ललित त्रिभंगी रूप में, राधा संग गोपाल ,
निरखि निरखि सो भव्यता होते श्याम निहाल |
या कदम्ब तरु छाँह के, भाग सराहें श्याम,
सेवे, चितवे युगल छवि, नित राधा घनश्याम |
श्याम शांत चित सौम्य शुचि , यमुना तट की भोर,
अजहूँ चिंतन चित चकित, चित चितवे चित चोर |
फूल हिंडोला पालना नृत्य गान श्रृंगार ,
पंचामृत संग भोग-सुख,नित आनंद विचार |
लीला भूमि जो लाल की, जो ब्रजभूमि कहाय ,
परसि श्याम जेहि रज किये, सकल कलुष कटि जायं |
तिर्यक भाव औ कर्म को, मन लावै नहिं कोय |
मन लावे तो मन बसे, श्याम त्रिभंगी सोय |
कृष्ण-मुरारी उर बसे, चित में लिए रमाय,
नित-नित दर्शन मैं करूं, नैनन पलक झुकाय |
इन नैनन में बस रहे, राधा, नंद किशोर,
पलकों की चिक डाल कर,मन हो दर्श विभोर |
नित्य रूप-रस जो पिए, दर्शन कर घनश्याम ,
परमानंद प्रतीति हो, जीवन धन्य सकाम ||
--- चित्र गूगल साभार ...
4 टिप्पणियां:
जय श्री कृष्ण |
शुभकामनायें ||
बहुत बढ़िया सुंदर प्रस्तुति,,,
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
RECENT POST ...: पांच सौ के नोट में.....
अहा, कान्हा भये शब्दमय।
धन्यवाद पांडे जी, रविकर,इंडिया दर्पण जी व धीरेन्द्र जी....
---- जय योगेश्वर कृष्ण .....संसार और ज्ञान-दर्शन का समन्वय ही तो योग है....और ...प्रेम दोनों का मूल भाव-तत्व....
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