....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
महानगर के एक शानदार अपार्टमेंट के फ्लोर वन पर स्थित एक प्ले-स्टेशन पर शाम को तमाम बच्चों व हाफ-पेंट, जींस, हाफ जींस, घुटनों के नीचे तक शोर्ट-पेंट,
शोर्ट टॉप पहने, आपस में अंग्रेज़ी में गिट-पिट बोलते हुए, मन ही मन हैरान-परेशान
चिडचिड़ाते हुए, बच्चों को कम थिस वे, डोंट डू दैट, स्टॉप सन, कम हीयर चिंकी, लेट
अस गो, डोंट गो देयर, लेट हिम फिनिश से हिदायतें देते हुए, झूले की, सी-सौ, स्लिप
आदि की लाइन में अपनी बारी का इंतज़ार करते ..’.व्हेन माई टर्न विल कम, मामा’.. कहते
हुए कुछ बड़े बच्चे व और न बोल पा सकने वाले रोते हुए चिडचिड़ाते हुए बच्चों के साथ उनकी
युवा व प्रौढ़ माताओं का झुण्ड लगा हुआ था| पोते आराध्य को झूले पर बिठाकर झुलाते
हुए मुझे लगा कि मैं अमेरिका में आगया हूँ |
‘माया यू सी, नो सच क्राउड इन
यूएस |’ तभी किसी युवा महिला की आवाज
सुनाई दी|
मैं सोचने लगा, कौन आजकल अपने घर
की छत या दरवाजे के कुंडे आदि से रस्सी डालकर बच्चों को घर में ही काम करते हुए
झूला झुलाता है, व्यक्तिगत स्तर पर | हमें तो अब भीड़ पसंद है, भीड़ का हिस्सा बनना
पसंद है....शो का आपस में, इंटरेक्ट करने का ...
पर छतें व कुंडे भी अब हैं ही कहाँ, पेड़ भी बोझ सहने लायक लगाए ही कहाँ जाते हैं और आपस में इंटरेक्शन भी हो कहाँ पाता
है इस भागम-भाग में | और इस हिन्दुस्तान में ‘फौज के लिए गूजे’ कहाँ
से आयें ये इतने प्ले-स्टेशन तो ‘ऊँट के मुख में जीरा’ की भांति हैं
| कितने प्ले स्टेशन बनें ताकि भीड़ एकत्र न हो, अमेरिका की भांति |
तभी लगभग तीन-चार वर्ष की दो लडकियां दौडती हुई
आयीं | एक बोली, अन्कल, आई वांट टू स्विंग |
‘वह झूल रहा है न अभी ‘ मैंने कहा |
व्हाट, झूल रहा ? दोनों एक साथ बोलीं
|
ओह ! आई मीन, ‘लेट हिम फिनिश
स्विन्गिंग’ मैंने कहा |
एक मिनट बाद ही अधीरता से वे बोलीं,
'अंकल, व्हेन ही विल स्टॉप ?'
‘नो बडी नोज़’, मैंने हंसते हुए उत्तर
दिया |
अंकल, व्हाट इस हिज नेम ?
‘आराध्य’ मैंने बताया |
अराध्या ..दोनों एक साथ बोलीं |
नहीं बेटा, आराध्य ..|
बेटा क्या अंकल ?
अं.s
s s...सन ..मैंने बताया |
वी आर नाट बौय... वी आर गर्ल्स अंकल
|
‘अच्छा..अच्छा ..|
अच्छा..व्हाट ?
ओह, ...यस ..ओके, मैं बोला |
ही इज बदमाश, उनमें से एक ने कहा |
बदमाश, क्या? मैंने पूछा |
बदमाश मीन्स बदमाश ..अंकल ....| ही इस नाट कमिंग डाउन |
ओके ओके ...तुम्हारा क्या नाम है |
यूं मीन नेम ..माई नेम इस मिकी | एंड माई नेम इस ट्विंकल,
दोनों एक साथ बोलीं |
व्हाट मिकी मीन्स, मैंने पूछा |
मिकी... मिकी माउस, मिकी ने बताया |
आर यू अ माउस, मैंने पूछा |
चुप.....
ओके, व्हाट इज ट्विंकल, मैंने
ट्विंकल से पूछा |
‘ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार ‘
उसने बताया |
ओके..गुड..बट व्हाई डोंट यूं स्पीक इन हिन्दी, मैंने
प्रश्न किया |
'नो बड़ी स्पीक हिन्दी हीयर, अंकल' दोनों कंधे उचका कर बोलीं |
व्हेयर फ्रॉम आर यू ? मैंने मिकी
से पूछा |
इलाहाबाद |
सो योर मदर-टंग इस हिन्दी |
नो, माई मम्मा-डेड आलवेज़ टाक इन
इंग्लिश, अवर टीचर टाक इन इंग्लिश एंड आस्क अस टू टाक इन इंग्लिश, अवर बुक्स आर इन
इंग्लिश, माई ग्रांड पा टाक इन इंग्लिश एंड रीड इंग्लिश पेपर |
एंड यू, मैं ट्विंकल से पूछने लगा |
माई मदर इस फ्रॉम पंजाब एंड पापा इस
टमिल, दे आलवेज़ टाक इन इंग्लिश | प्रोवेबली माई नैनी स्पीक पंजाबी |
यस, अवर आया एंड सर्वेंट् स्पीक
हिन्दी, दोनों एक साथ बोलीं |
अब मेरे चुप रह जाने की बारी थी |
1 टिप्पणी:
अच्छा परिवेश रचा है आपने हिंदी के स्पेस को छीनती हिंगलिश का इस कहानी में .हिंदी दिवस मुबारक .
ram ram bhai
शनिवार, 15 सितम्बर 2012
सज़ा इन रहजनों को मिलनी चाहिए
http://veerubhai1947.blogspot.com/
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