....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
जिस प्रकार मानव मन विभिन्न मानसिक ग्रंथियों का पुंज है, समाज भी व्यक्तियों का संगठन है| मन बड़ा ही अस्थिर है, चलायमान है, वायवीय तत्व है | इस पर नियमन आवश्यक है |
कानून मनुष्य ने बनाए हैं , उनमें छिद्र अवश्यम्भावी हैं , धर्म शाश्वत है, वही मन को स्थिरता दे सकता है | धर्महीन मानव, धर्महीन समाज, धर्महीन देश ...स्थिरता तो क्या एक क्षण खडा भी नहीं रह सकता .... अपने पैरों पर | आज विश्व की अस्थिरता का कारण है धर्महीन समाज |
धर्म का अर्थ सम्प्रदाय नहीं है |आज के चर्चित "रिलीज़न" वास्तव में सम्प्रदाय ही हैं | धर्म और रिलीज़न दो भिन्न संस्थाएं हैं| आज चर्चित भिन्न-भिन्न मत-मतान्तर , धार्मिक नियम ..धर्म नहीं हैं | धर्म तो एक ही है और वह शाश्वत है | धर्म का अर्थ है ...कर्तव्य का पालन,,,,,| और धर्म का केवल एक ही सिद्धांत है..."कभी दूसरों को दुःख मत दो |".......
" सर्वें सुखिना सन्तु
सर्वे सन्तु निरामया |
सर्वे पश्यन्तु भद्राणि,
मा कश्चिद दुखभाग्भवेत ||"
श्याम स्मृति.....मानव मन, धर्म व समाज ...
जिस प्रकार मानव मन विभिन्न मानसिक ग्रंथियों का पुंज है, समाज भी व्यक्तियों का संगठन है| मन बड़ा ही अस्थिर है, चलायमान है, वायवीय तत्व है | इस पर नियमन आवश्यक है |
कानून मनुष्य ने बनाए हैं , उनमें छिद्र अवश्यम्भावी हैं , धर्म शाश्वत है, वही मन को स्थिरता दे सकता है | धर्महीन मानव, धर्महीन समाज, धर्महीन देश ...स्थिरता तो क्या एक क्षण खडा भी नहीं रह सकता .... अपने पैरों पर | आज विश्व की अस्थिरता का कारण है धर्महीन समाज |
धर्म का अर्थ सम्प्रदाय नहीं है |आज के चर्चित "रिलीज़न" वास्तव में सम्प्रदाय ही हैं | धर्म और रिलीज़न दो भिन्न संस्थाएं हैं| आज चर्चित भिन्न-भिन्न मत-मतान्तर , धार्मिक नियम ..धर्म नहीं हैं | धर्म तो एक ही है और वह शाश्वत है | धर्म का अर्थ है ...कर्तव्य का पालन,,,,,| और धर्म का केवल एक ही सिद्धांत है..."कभी दूसरों को दुःख मत दो |".......
" सर्वें सुखिना सन्तु
सर्वे सन्तु निरामया |
सर्वे पश्यन्तु भद्राणि,
मा कश्चिद दुखभाग्भवेत ||"
2 टिप्पणियां:
जब लक्ष्य नहीं तो दिशा नहीं..
धन्यवाद----सत्य कहा पांडे जी....सत्य के सार्थक संधान हेतु लक्ष्य होना आवश्यक है....
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