....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
गडकरी ने जो कहा कि... विवेकानंद एवं दाऊद का आई क्यू समान होने पर भी एक विवेकानंद बना दूसरा अपराधी...क्या अनुचित कहा ?
सभी जानते हैं कि आईक्यू का, बुद्धिमत्ता का आचरण से कोई सम्बन्ध नहीं हैं | सभी बड़े बड़े अपराधी प्रायः बुद्धिमान होते हैं अपितु सब जानते हैं कि बड़े-बड़े वैज्ञानिक आदि कैसे अपराधी में परिवर्तित हो जाते हैं ...इसीलिये शास्त्रों में बुद्धि के विभिन्न भेद बताए गए हैं....प्रज्ञा एवं विवेक को बुद्धि से ऊपर माना गया है ... उसी बुद्धि स्तर का व्यक्ति यदि विवेकहीन हो तो वह अनाचारी, अपराधी बनता है और विवेकवान (अपितु कम बुद्धिमान या कम आईक्यू वाला विवेकवान ) सदाचारी व आदरणीय बन जाता है |
रावण निश्चय ही राम से अधिक अनुभवी, ज्ञानी व बुद्दिमान, चतुर था | वैदिक ज्ञान से पूर्ण विद्वान एवं एक संहिता का रचयिता, कुशल योद्धा, नीतिज्ञ, वैज्ञानिक, उच्च सभ्यता ( परन्तु भौतिकता से ओत -प्रोत) का साधक ...परन्तु विवेकहीनता, अनाचारिता, अति-भौतिकता जनित अहं के कारण वह राक्षस कहलाया और विवेकशीलता, सदाचार, समन्वयक सभ्यता-संस्कृति के कारण राम विजेता भी हुए और भगवान भी कहलाये |
इससे यही सिद्ध होता है कि हमारे नेता, राजनीतिज्ञ यहाँ तक मीडिया एवं जन सामान्य भी वास्तविकता से परे जाकर लकीर के फ़कीर की भांति तथ्य को राजनैतिक चश्मे से देखकर अनायास ही बात का बतंगड बना देते हैं |
गडकरी ने जो कहा कि... विवेकानंद एवं दाऊद का आई क्यू समान होने पर भी एक विवेकानंद बना दूसरा अपराधी...क्या अनुचित कहा ?
सभी जानते हैं कि आईक्यू का, बुद्धिमत्ता का आचरण से कोई सम्बन्ध नहीं हैं | सभी बड़े बड़े अपराधी प्रायः बुद्धिमान होते हैं अपितु सब जानते हैं कि बड़े-बड़े वैज्ञानिक आदि कैसे अपराधी में परिवर्तित हो जाते हैं ...इसीलिये शास्त्रों में बुद्धि के विभिन्न भेद बताए गए हैं....प्रज्ञा एवं विवेक को बुद्धि से ऊपर माना गया है ... उसी बुद्धि स्तर का व्यक्ति यदि विवेकहीन हो तो वह अनाचारी, अपराधी बनता है और विवेकवान (अपितु कम बुद्धिमान या कम आईक्यू वाला विवेकवान ) सदाचारी व आदरणीय बन जाता है |
रावण निश्चय ही राम से अधिक अनुभवी, ज्ञानी व बुद्दिमान, चतुर था | वैदिक ज्ञान से पूर्ण विद्वान एवं एक संहिता का रचयिता, कुशल योद्धा, नीतिज्ञ, वैज्ञानिक, उच्च सभ्यता ( परन्तु भौतिकता से ओत -प्रोत) का साधक ...परन्तु विवेकहीनता, अनाचारिता, अति-भौतिकता जनित अहं के कारण वह राक्षस कहलाया और विवेकशीलता, सदाचार, समन्वयक सभ्यता-संस्कृति के कारण राम विजेता भी हुए और भगवान भी कहलाये |
इससे यही सिद्ध होता है कि हमारे नेता, राजनीतिज्ञ यहाँ तक मीडिया एवं जन सामान्य भी वास्तविकता से परे जाकर लकीर के फ़कीर की भांति तथ्य को राजनैतिक चश्मे से देखकर अनायास ही बात का बतंगड बना देते हैं |
4 टिप्पणियां:
बातें बड़ी बन जाती हैं।
डॉ. गुप्त जी,
मुझे भी कुछ अनुचित नहीं लगी 'गडकरी की कही'
मेरा भी जितने लोगों से विमर्श हुआ ... मैंने आपकी ही बातों को रखा।
अंतर इतना है कि आपने इसे सार्वजनिक मंच से कहा और मैंने इसे तब कहा जब कोई बिना अक्ल के दौड़ता मिला।
एक विद्वान् हुए हैं : डॉ. त्रिलोकीनाथ 'क्षत्रिय' वे अब नहीं हैं। लेकिन उनका कहा मुझे आज भी स्मृत है। वे कहते थे -
"जितने भी महापुरुष हुए हैं 'राम' 'कृष्ण' 'बुद्ध' 'महावीर' 'दयानंद' 'विवेकानंद' 'गांधी' सबके ऊपर पाँव रखकर आगे बढ़ो।" बस इतना भर सुन या पढ़ लेने के बाद तो उनकी आफत आ जाती थी। लेकिन उनके निहितार्थ को बहुत कम ने जाना। वे आगे इसका विस्तार भी देते थे।
उनका मानना था कि 'नाम से मत चिपको, उसके कार्यों को आचरण में लाओ। आगे की सोच विकसित करो। वहीँ तक मत रह जाओ। आदि-आदि। मैं उनकी बातों से सहमत था। किन्तु जहाँ उनकी बातों का 'आर्यसमाज के पंडितों में निरादर हुआ। वही बात आज मैं गडकरी के साथ होती देख रहा हूँ।
----सही कहा सुज्ञ जी, धन्यवाद ...पहली सीढी पर पैर रखकर ही आगे अगली सीढी पर चढ़ा/बढ़ा जा सकता है...और पहली सीढी जो जाने बिना पहचाने/परखे बिना अगली पर पैर कौन रखता है ...
सही पांडे जी.... बातों का स्वार्थवश अर्थ न समझ पाने के कारण वे बतंगड के साथ अनावश्यक दिखावे रूप में बड़ी बन जाती हैं यद्यपि होती नहीं हैं ...
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