....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
वो चंद पल जो तेरे साथ गुजारे हमने |
ज़िंदगी के देख लिए सारे नज़ारे हमने |
अब कोई और समां भाता नहीं दिल को,
कर लिए पल वोही दिल के सहारे हमने |
क्या कहैं कैसे कहैं हाले-दिल किस से कहैं ,
खो दिए जो थे सनम जान से प्यारे हमने |
उनकी काज़ल से भरी आँखों में खोये लेकिन,
क्यों नहीं समझे निगाहों के इशारे हमने |
आवाज़ तो दो, कोई इलजाम ही दो चाहे,
आज लो जानो-जिगर तुम पे ही वारे हमने |
अब कहाँ ढूंढें तुम्हें दिल को सुकूँ-चैन मिले,
श्याम' आजाओ कि ढूंढ लिए जग के किनारे हमने ||
वो चंद पल जो तेरे साथ गुजारे हमने |
ज़िंदगी के देख लिए सारे नज़ारे हमने |
अब कोई और समां भाता नहीं दिल को,
कर लिए पल वोही दिल के सहारे हमने |
क्या कहैं कैसे कहैं हाले-दिल किस से कहैं ,
खो दिए जो थे सनम जान से प्यारे हमने |
उनकी काज़ल से भरी आँखों में खोये लेकिन,
क्यों नहीं समझे निगाहों के इशारे हमने |
आवाज़ तो दो, कोई इलजाम ही दो चाहे,
आज लो जानो-जिगर तुम पे ही वारे हमने |
अब कहाँ ढूंढें तुम्हें दिल को सुकूँ-चैन मिले,
श्याम' आजाओ कि ढूंढ लिए जग के किनारे हमने ||
1 टिप्पणी:
क्या खूब अभिव्यक्ति है..
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