....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
होशियार रहना.... गज़ल....
इस शहर् में आगये होशियार रहना।
यह शहर है यार कुछ होशियार रहना।
इस शहर में घूमते हैं हर तरफ ही,
मौत के साए ज़रा होशियार रहना।
घूमते हैं खट-खटाते अर्गलायें,
खोलना मत द्वार बस होशियार रहना ।
एक दर्ज़न श्वान थे और चार चौकीदार,
होगया है क़त्ल यूं होशियार रहना।
अब न बागों में चहल कदमी को जाना,
होरहा व्यभिचार सब होशियार रहना।
सज-संवर के अब न जाना साथ उनके,
खींच लेते हार , तुम होशियार रहना।
चोर की करने शिकायत आप थाने जारहे,
पीचुके सब चाय अब होशियार रहना।
क्षत-विक्षत जो लाश चौराहे पर मिली,
काम आदमखोर सा ,होशियार रहना।
वह नहीं था बाघ आदमखोर यारो,
आदमी था श्याम' सब होशियार रहना॥
होशियार रहना.... गज़ल....
इस शहर् में आगये होशियार रहना।
यह शहर है यार कुछ होशियार रहना।
इस शहर में घूमते हैं हर तरफ ही,
मौत के साए ज़रा होशियार रहना।
घूमते हैं खट-खटाते अर्गलायें,
खोलना मत द्वार बस होशियार रहना ।
एक दर्ज़न श्वान थे और चार चौकीदार,
होगया है क़त्ल यूं होशियार रहना।
अब न बागों में चहल कदमी को जाना,
होरहा व्यभिचार सब होशियार रहना।
सज-संवर के अब न जाना साथ उनके,
खींच लेते हार , तुम होशियार रहना।
चोर की करने शिकायत आप थाने जारहे,
पीचुके सब चाय अब होशियार रहना।
क्षत-विक्षत जो लाश चौराहे पर मिली,
काम आदमखोर सा ,होशियार रहना।
वह नहीं था बाघ आदमखोर यारो,
आदमी था श्याम' सब होशियार रहना॥
4 टिप्पणियां:
श्याम जी हिन्दुस्तान की संकेंद्रित ,केंद्रीकृत चेतना का जीवन दसतावेज़ है यह गजल :
इस शहर् में आगये होशियार रहना।
यह शहर है यार कुछ होशियार रहना।
क्षत-विक्षत जो लाश चौराहे पर मिली,
काम आदमखोर सा ,होशियार रहना।
वह नहीं था बाघ आदमखोर यारो,
आदमी था श्याम' सब होशियार रहना॥
इस देश के संविधान की प्रस्तावना का पहला वाक्य ही गलत और सफ़ेद झूठ है :
'इंडिया डेट इज भारत 'श्यामजी इससे बड़ा झूठ और कोई हो नहीं सकता .
यथार्थ यह है :इंडिया इज इंडिया ,भारत इज भारत .एक विकसित दूसरा अविकसित (गरीब दुनिया विकास शील ).भारत धर्मी समाज इसी भारत में है जो गुलामों की भाषा बोलता है, हिंदी .कभी यू पी का भैया कभी बिहारी कहलाता है .इंडिया की भाषा अंग्रेजी है .
पग पग पर ध्यान रहे,
शहर है, यह ज्ञान रहे।
सही कहा शर्मा जी....
---एक विचार से संविधान में सही ही लिखा है.. इंडिया--- जो पहले भारत था अब भारत न रहकर इंडिया रह जायगा...
धन्यवाद पांडे जी.....
पग पग पर ध्यान रहे,
शहर है, यह ज्ञान रहे।
----क्या बात है ...एक दम सटीक मतला है एक छोटी बहर की ग़ज़ल का...
एक टिप्पणी भेजें