....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
श्याम स्मृति-१९ ..त्रिदेव ..
यदि त्रिदेव या ईश्वर सिर्फ कल्पना ही है तो किसने की इतनी सुन्दर कल्पना और उस कल्पना का शिल्पी क्या त्रिदेव से कम होगा | कहानीकार, कथाकार, साहित्यकार, कवि व उनकी कल्पनाओं को हम जाने क्या क्या उपमाएं देते रहते हैं | तो इस परिकल्पना का अनादर क्यों ?
2 टिप्पणियां:
सिद्ध न कर सके तो असत्य मान लेते हैं लोग, असिद्ध को भी संचित कर रखना सीखें बुद्धिजीवी।
सच कहा.... जो आज असिद्ध है वह कल सिद्ध भी हो सकता है अथवा वह अनुभव/अनुमान प्रमाण से तो सिद्ध है ही.....
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