....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
ज्ञान-वार्ता मंडली ... प्रेस्टिज शान्तिनिकेतन, बेंगलूर .........
प्रतिदिन प्रातः आठ बजे के लगभग जब आप प्रेस्टिज शांतिकेतन के आवासीय परिसर के टावर संख्या ८ के सम्मुख हरितमा-युक्त लान में ग्रेनाईट पत्थर से निर्मित तीन बेंचों पर कुछ वरिष्ठ नागरिकों के एक वर्ग को बैठे हुऐ आपस में वार्ता-चर्चा करते हुए पायेंगे | इसमें विभिन्न प्रान्तों, स्थानों एवं जीवन के विविध क्षेत्रों के निवासी तथा देश-विदेश में घूमे, या सेवारत...कोइ सीबीआई से, कोइ सेना से, कोइ राजनयिक या केन्द्रीय या राज्य सरकार के अधिकारी पद से लगभग सभी सरकारी अर्ध-सरकारी,गैर-सरकारी, व्यापारी, चिकित्सक, इंजीनियर आदि व्यवसाय से मुक्त या सेवा-मुक्त सभी वरिष्ठजन आपस में सामयिक व देश-विदेश के ज्वलंत विषयों से लेकर आवश्यक स्थानीय सूचनाओं, समाचारों दर्शन, धर्म, अद्यात्म, वेद, पुराण, गीता, शास्त्र, योग, ईश्वर, कला , साहित्य, राजनीति, काव्य, इतिहास, कविता-कथ, समाज-व्यवहार, अपने -अपने समाज-सेवा कार्यक्रम व अन्य सामाजिक -सांस्कृतिक गतिविधियाँ व कृतित्व आदि... सभी प्रकार की चर्चायें करते हुए दृश्यमान होते हैं |
ओपी गुप्ता हरयाणा से, मि.सरकार व घोस बाबू कोलकाता से, सरदार हर्जिंदर सिंह दिल्ली से यादव जी गोंडा से, अशोक शर्मा आगरा से, अरोरा जी दिल्ली से, डा एस.बी गुप्ता लखनऊ से इसके नियमित बैठने वाले हैं | सभी अपने अपने घूमने के कार्यक्रम के पश्चात ८ बजे ९ बजे तक ..इस नियत स्थान पर एकत्र होकर चर्चा में भाग लेते हैं| नए सदस्य एवं तत्कालीन सदस्य भी आते-जाते मिलते-जुलते, सम्मिलित होते रहते हैं| सभी अपने-अपने ज्ञान, अनुभव, जीवन के एवं सेवा के समय के अनुभव, विशिष्ट ज्ञान व अनुभव, सामाजिक सरोकार व चिंताएं व उनके समाधान एवं अपने नवीन अध्ययन आदि को शेयर करते हैं|
सभी वरिष्ठ जन यहाँ प्रायः अपने बच्चों -- पुत्र या पुत्री- नाती -पोतों की खातिर उनके यहाँ बेंगलोर में कार्यरत होने के कारण निवास किये हुए हैं| कुछ अपने मूल स्थान से अंतरित भी होगये हैं ..कुछ आते-जाते रहते हैं| इस प्रकार यह स्थल वरिष्ठ जनों का एक विशिष्ट मनोरंजन व ज्ञानरंजन स्थान बन गया है | जो एक लघु भारत का प्रतीक की भांति प्रतीत होता है |
ज्ञान-वार्ता मंडली ... प्रेस्टिज शान्तिनिकेतन, बेंगलूर .........
ज्ञान वार्ता मंडली -प्रेस्टिज शान्तिनिकेतन, बेंगलूर |
प्रतिदिन प्रातः आठ बजे के लगभग जब आप प्रेस्टिज शांतिकेतन के आवासीय परिसर के टावर संख्या ८ के सम्मुख हरितमा-युक्त लान में ग्रेनाईट पत्थर से निर्मित तीन बेंचों पर कुछ वरिष्ठ नागरिकों के एक वर्ग को बैठे हुऐ आपस में वार्ता-चर्चा करते हुए पायेंगे | इसमें विभिन्न प्रान्तों, स्थानों एवं जीवन के विविध क्षेत्रों के निवासी तथा देश-विदेश में घूमे, या सेवारत...कोइ सीबीआई से, कोइ सेना से, कोइ राजनयिक या केन्द्रीय या राज्य सरकार के अधिकारी पद से लगभग सभी सरकारी अर्ध-सरकारी,गैर-सरकारी, व्यापारी, चिकित्सक, इंजीनियर आदि व्यवसाय से मुक्त या सेवा-मुक्त सभी वरिष्ठजन आपस में सामयिक व देश-विदेश के ज्वलंत विषयों से लेकर आवश्यक स्थानीय सूचनाओं, समाचारों दर्शन, धर्म, अद्यात्म, वेद, पुराण, गीता, शास्त्र, योग, ईश्वर, कला , साहित्य, राजनीति, काव्य, इतिहास, कविता-कथ, समाज-व्यवहार, अपने -अपने समाज-सेवा कार्यक्रम व अन्य सामाजिक -सांस्कृतिक गतिविधियाँ व कृतित्व आदि... सभी प्रकार की चर्चायें करते हुए दृश्यमान होते हैं |
ओपी गुप्ता हरयाणा से, मि.सरकार व घोस बाबू कोलकाता से, सरदार हर्जिंदर सिंह दिल्ली से यादव जी गोंडा से, अशोक शर्मा आगरा से, अरोरा जी दिल्ली से, डा एस.बी गुप्ता लखनऊ से इसके नियमित बैठने वाले हैं | सभी अपने अपने घूमने के कार्यक्रम के पश्चात ८ बजे ९ बजे तक ..इस नियत स्थान पर एकत्र होकर चर्चा में भाग लेते हैं| नए सदस्य एवं तत्कालीन सदस्य भी आते-जाते मिलते-जुलते, सम्मिलित होते रहते हैं| सभी अपने-अपने ज्ञान, अनुभव, जीवन के एवं सेवा के समय के अनुभव, विशिष्ट ज्ञान व अनुभव, सामाजिक सरोकार व चिंताएं व उनके समाधान एवं अपने नवीन अध्ययन आदि को शेयर करते हैं|
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