....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
रविवार दि. १०-११-१३ को स्थानीय हिन्दी संस्थान के निराला सभागार में बिसारिया शिक्षा एवं सेवा समिति, उत्तर प्रदेश , राजाजी पुरम, लखनऊ के तत्वावधान में श्री धुरेन्द्र स्वरुप बिसरिया रचित वर्ण सन्देश एवं कर्म ही पूजा है तथा, त्रिवेणी प्रसाद दुबे मनीष के दोहा संग्रह एवं श्री गिरीश चन्द्र वर्मा 'दोषी' की तीन पुस्तकों का लोकार्पण एवं विवेचन हुआ |
रविवार दि. १०-११-१३ को स्थानीय हिन्दी संस्थान के निराला सभागार में बिसारिया शिक्षा एवं सेवा समिति, उत्तर प्रदेश , राजाजी पुरम, लखनऊ के तत्वावधान में श्री धुरेन्द्र स्वरुप बिसरिया रचित वर्ण सन्देश एवं कर्म ही पूजा है तथा, त्रिवेणी प्रसाद दुबे मनीष के दोहा संग्रह एवं श्री गिरीश चन्द्र वर्मा 'दोषी' की तीन पुस्तकों का लोकार्पण एवं विवेचन हुआ |
डा. श्याम गुप्त पुस्तक विवेचना करते हुए |
पुस्तक विवेचना अगीत के संस्थापक डा.रंगनाथ मिश्र |
प्रोफ उषा सिन्हा पुस्तकों की विवेचना करते हुए |
2 टिप्पणियां:
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 14-11-2013 की चर्चा में दिया गया है
कृपया चर्चा मंच पर पधार कर अपनी राय दें
धन्यवाद
धन्यवाद ...दिलबाग जी.....
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