....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
सत्य कभी छुपता नहीं है....आवृत हो
सकता है, असत्य वाणी, विचार, कृत्य या
...कूकुर शोर से... पर कब तक ........एवं जो बुरा है वह बुरा है चाहे कोइ
कितना भी उसे आधुनिक या उचित सिद्ध करने का प्रयत्न करे | आधुनिकता
एवं प्रगतिवादिता युक्त स्त्रियों के व्यवहार, आचरण व कृतित्वों का यह सत्य
तथ्य भी समय-समय पर बार-बार उभर कर आता रहा है विभिन्न कोनों से...समाज, देश, मानवता, विशेषज्ञता, राजनेताओं, विद्वानों, न्यायालयों
के मुख से...स्वयं स्त्रियों के मुख से ... परन्तु कुछ तथाकथित छद्म-प्रगतिवादी
शृगाल-शोर में हम सुन नहीं पा रहे हैं...
सांच छुपाये ना छुपै....
सत्यस्य मुख: अपिहितं असत्यस्य पात्रम्...अथवा....
“सत से खोल असत पट घूंघट
पिया मिलन जो भाया..... ...”
जो बुरा एवं अनुचित है वो बुरा ही है |
बार बार उठती हैं ये बातें हर कोने से.....क्यों ? सत्य छुपता नहीं है... |
आप किसे सुनेंगे ...
---- श्रृगाल-शोर करने वाले कम अनुभवी थोड़े से नव-युवाओं को या जबरदस्ती
बनाए गए सेलेब्रिटी जो मूलतः फिल्म, फैशन या उच्च महत्वाकांक्षा युत
राह पर चलने वाले हैं...पैसे के लिए ..जो आज खुश व सीख देते हुए मिलते हैं दूसरे
दिन पंखे आदि से लटके हुए |
----अथवा बार बार समाज में अपने दृष्टिकोण प्रकट करते
विज्ञ व अनुभवी जनों के .....
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