....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
जी न्यूज़ चेनल का भूत भगाओ
कार्यक्रम का दावा खोखला निकला
अभी हाल में ही जी न्यूज़ चेनल वालों
ने बड़े जोर शोर से राजस्थान के एक गाँव को २०० सालों से भुतहा ( हान्टेड ) तथा
वीरान जहां दूर दूर तक कोइ नहीं रहता ...घोषित करके ...उसे अपनी टीम भेजकर भूतों
से मुक्ति दिलाने का बड़े जोर शोर से दावा किया एवं कुछ तथाकथित दिग्गज वैज्ञानिक,
आचार्य, दार्शनिक आदि को बुला कर बाकायदा अपने चेनल पर जीवंत प्रसारण एवं बहस का
आयोजन भी किया |
मीडिया की टीम एवं न्यूज़-रूम में
उपस्थित मीडिया–संचालक महोदय बड़े जोर शोर से कैमरे व विविध मापक यंत्र आदि लगा कर
तीखी बहस एवं लाइव प्रसारण द्वारा ‘कोइ भूत नहीं है’ आदि द्वारा सदा की भाँति
विशेषज्ञों आदि की बातें भी न सुनकर-मानकर अपना गुणगान कर रहे थे कि हमने गाँव को
भूत रहित सिद्ध कर दिया |
तभी स्थानीय
जनता ने आकर उन्हें घेर लिया ..भारी विरोध के मध्य स्थानीय लोग पूछने लगे कि आपको
किसने बताया कि यह गाँव २०० वर्षों से हान्टेड है तथा वीरान है .....हम सब तो यहाँ
रहते हैं, तमाम घर हैं रात में भी आते-जाते हैं, हम बाहर गए लोग भी यहाँ अपने
पुरखों की भूमि पर आते जाते हैं| आप व्यर्थ ही गाँव को बदनाम कर रहे हैं| जनता का
साफ़-साफ़ यह कथन था कि पहले मीडिया चेनल वाले ही किसी स्थान को भूतिया घोषित करते
हैं फिर उसे भूत मुक्त करने के नाम पर नाटक करते हैं अपने मुंह मियाँ मिट्ठू बनाने
हेतु | गाँव में गयी टीम के सदस्य, स्टूडियो में स्थित संचालक महोदय एवं टीम व
तथाकथित वैज्ञानिकों के मुंह से बोल ही नहीं फूट पा रहे थे | बस टीम के पीटे जाने
में ही कसर रह गयी |
टीम के साथ उपस्थित –इनर्जी-ध्वनि आदि
के रिकार्डक यंत्रों आदि के विशेषज्ञ सज्जन स्वयं मीडिया वालों के विरोध में होगये
कि मैं जो कहना दिखाना चाह रहा हूँ वह नहीं दिखाया जा रहा है| उनका कहना था कि हर
बार इसे हर स्थान पर जहां कहीं भी हम गए या अन्य पिक्चर आदि की शूटिंग वाले गए ...
सदा ही हमारे कैमरे, यंत्र आदि बिना किसी कारण के खराब होजाते हैं अतः किसी प्रकार
की विशेष इनर्जी यहाँ मौजूद रहती है |
तथाकथित आधुनिक वैज्ञानिक जो डीगें
मार रहे थे एवं वही घिसे-पिटे वाक्य कि भूत, प्रेत, आत्मा, पुनर्जन्म आदि को वैज्ञानिक रूप से सिद्ध
करने वाले के लिए योरोप के बड़े वैज्ञानिक ने लाखों डालर का इनाम रखा है के उत्तर
में ..एक विद्वान् आचार्य जी के इस कथन का उत्तर नहीं दे पाए कि यदि वे या कोई भी
इस पुष्प की सुगंध का चित्र खींच कर दिखाए तो वे उन लाखों डालर में ११ रुपये जोड़
कर देने को तैयार हैं|
वस्तुतः आजकल जो भी अखबार या मीडिया
में आजाता है वह अपने को अत्यधिक विद्वान् समझने लगता है एवं जो कोई भी चार
अंग्रेज़ी के अक्षर एवं विदेशों से नक़ल की हुई विज्ञान की कुछ बातें-किताबें पढ़
लेता है वही स्वयं को भ्रम वश आधुनिक समझकर विज्ञान-विज्ञान चिल्लाने लगता है और बिना
गहन अध्ययन व पुरा शास्त्रीय ज्ञान व दर्शन के तत्वों को जाने, पुरा ज्ञान व
तथ्यों विशेषकर भारतीय प्राचीन तथ्यों, ज्ञान, विश्वासों का खंडन करने लगता है एवं
नए-नए भ्रम व वैज्ञानिक अंधविश्वासों की उत्पत्ति में सहायक होता है |
आजकल अंतर्जाल पर ब्लॉग आदि सोशल
साइट्स पर... जो वास्तव में व्यक्ति के स्वयं के स्वतंत्र साहित्यिक विचारों,
अनुभूतियों, रचनाओं, कृतियों आदि की अभिव्यक्ति तथा स्वयं-प्रस्तुतीकरण का एक माध्यम है न कि
समाचारों, आलेखों, विविध जानकारियों के पुनर्लेखन, पुनर्प्रसारण का ...ऐसे न
जाने कितने ‘विज्ञान के ब्लॉग’ ‘अंधविश्वास खंडन’ के ब्लॉग,
अंग्रेज़ी पुस्तकों, आलेखों, गहन वैज्ञानिक तथ्यों से नक़ल करके बेमतलब समाचारों
की भांति लिखे जारहे वैज्ञानिक तथ्यों पर आलेखों, अंग्रेज़ी व योरोपीय ज्ञान व
विचारों पर आधारित, शब्दों के श्रोतों, सफ़र आदि पर आलेख एवं तत्पश्चात उन्ही पर प्रकाशित पुस्तकें
आदि कुकुरमुत्ते की भाँति उग आये हैं, जिन्हें तथ्यात्मक त्रुटियों एवं
सत्य तथ्यों की ओर ध्यान दिलाने से परहेज़ रहता है |
2 टिप्पणियां:
अनसुलझे प्रश्न, बहकते उत्तर।
सही कहा यदि उत्तर ही बहकते होंगे तो प्रश्नों के समुचित उत्तर कहाँ से आयेंगे...
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