माँ का आवाहन
परम-शक्ति माँ से
बढकर तो, तीन लोक में कुछ भी नहीं,
अतुलनीय माँ
महिमा तेरी, वर्णन की मेरी शक्ति नहीं ।
परम-ब्रह्म के साथ युक्त हो, सृष्टि की रचना करती हो,
रक्षक, पालक तुम हो जग की, जग को धारण करती हो।
ब्रह्मा, विष्णु, महेश माँ तेरी इच्छा से तन धारण करते,
महा-शक्ति तेरी स्तुति की, जग में क्षमता-शक्ति नहीं।
----परम शक्ति मां……..
तुच्छ बुद्धि तुझ
पराशक्ति के ओर-छोर को क्या जाने,
ममतामयी रूप तेरा
ही, माता वह तो पहचाने ।
तेरे नव-रूपों के भावों पर,
अगाध श्रद्धा से भर ,
करें अनुसरण और
कीर्तन,
इससे बढकर भक्ति नहीं ।
-----परम शक्ति मां……
माँ आगमन करो इस
घर में,
हम पूजन, गुण-गान करें,
धूप, दीप,
नैवैध्य समर्पण कर, तेरा आह्वान
करें ।
इन नवरात्रों में
माँ आकर,
हम सबका कल्याण करो,
धरें शीश तेरे
चरणों पर, इससे बढकर मुक्ति नहीं ॥
----परम शक्ति मां……
-रचयिता...डा. श्याम गुप्त, सुश्यानिदी, के-३४८, आशियाना, लखनऊ
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