....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
माँ
जितने भी पदनाम सात्विक, उनके पीछे मा होता है |
चाहे धर्मात्मा, महात्मा, आत्मा हो अथवा परमात्मा |
जो महान सत्कार्य जगत के, उनके पीछे माँ होती है
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चाहे हो वह माँ कौशल्या, जीजाबाई या जसुमति माँ
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पूर्ण शब्द माँ ,पूर्ण ग्रन्थ माँ, शिशु वाणी का
प्रथम शब्द माँ |
जीवन की हर एक सफलता, की पहली सीढी होती माँ |
माँ अनुपम है वह असीम है, क्षमा दया श्रृद्धा का
सागर |
कभी नहीं रीती होपाती, माँ की ममता रूपी गागर |
माँ मानव की प्रथम गुरू है,सभी सृजन का मूलतंत्र
माँ |
विस्मृत ब्रह्मा की स्फुरणा, वाणी रूपी
मूलमन्त्र माँ |
सीमित तुच्छ बुद्धि यह कैसे, कर पाए माँ का
गुणगान |
श्याम करें पद वंदन, माँ ही करती वाणी बुद्धि
प्रदान ||
2 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर रचना !
धन्यवाद काली पद जी ---
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