....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
ग़ज़ल --ऐ दिल
है उनकी बद्दुआओं का असर है भोगना ऐ दिल,
बीच मंझधार में तू भी न मुझको छोड़ना ऐ दिल |
तू उनके गेसुओं की चमक का मानी नहीं समझा,
न समझा जुल्फ का लहरों के संग संग झूमना एदिल |
भला आवाज़ दे कोई, सुने ना कोइ गफलत में ,
न क्योंकर रूठ जाए वो ज़रा खुद सोचना ए दिल |
यूं मिलना हर जगह हर बार ही यूं ही नहीं होता,
बहाना खिलखिलाने का है पड़ता ढूंढना ए दिल |
श्याम, दिल की लगी की बात अब समझा तो क्या समझा,
न क्यों पहले ही सीखा दो औ दो को जोड़ना ए दिल |
ग़ज़ल --ऐ दिल
है उनकी बद्दुआओं का असर है भोगना ऐ दिल,
बीच मंझधार में तू भी न मुझको छोड़ना ऐ दिल |
तू उनके गेसुओं की चमक का मानी नहीं समझा,
न समझा जुल्फ का लहरों के संग संग झूमना एदिल |
भला आवाज़ दे कोई, सुने ना कोइ गफलत में ,
न क्योंकर रूठ जाए वो ज़रा खुद सोचना ए दिल |
यूं मिलना हर जगह हर बार ही यूं ही नहीं होता,
बहाना खिलखिलाने का है पड़ता ढूंढना ए दिल |
श्याम, दिल की लगी की बात अब समझा तो क्या समझा,
न क्यों पहले ही सीखा दो औ दो को जोड़ना ए दिल |
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