....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
हमारे इतिहास का एक बिंदु ----
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----- भारतवर्ष की जनसंख्या की एतिहासिक डेमोग्राफी का अध्ययन करते समय हम यह पाते हैं वर्ष १००० एडी में भारत की जनसंख्या १५ करोड़ थी जो १५००-१६०० एडी में बढ़ने की बजाय घटकर १० करोड़ ही रहजाती है, क्यों ? कोइ भी इतिहास या इतिहासकार इसका कारण नहीं स्पष्ट करता या नहीं करना चाहता, क्यों |
------क्योंकि मुस्लिमों से शासन अंग्रेजों के हाथ चलागया और अँगरेज़ इतिहासकारों को भ्रम फैलाने में ही अपना भला दिखाई देता था, उन्हें हिन्दुओं से क्या लाभ, क्योंकि वे भी वही करने वाले थे ,..अन्य आज के स्वतन्त्रता पूर्व व पश्चात के आधिकांश भारतीय इतिहासकार या तो अंग्रेज़ी इतिहास के तोता रटंत को दोहराने वाले, या विदेशी /अंग्रेज़ी में पढ़ने लिखने वाले आधे अँगरेज़-भारतीय या साम्यवादी/ कम्यूनिष्ट हैं जिन्हें भारतीय ज्ञान में कोइ दिलचस्पी नहीं है |
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-----अब यह देखा जाय की यह ५०० वर्षों का समय किस काल एवं राजशाही का था तो बात स्पष्ट होजाती है |
--------यह काल भारत पर मुस्लिम आक्रान्ताओं के अधिकार का काल था | महमूद गज़नवी, मोह.गोरी, इल्तुतमिश, गुलाम वंश , अलाउद्दीन खिलजी, तुगलक वंश, तैमूर लंग, सैय्यद , लोधी वंश ..जिन्होंने हिन्दू/भारतीयों का सामूहिक क़त्लेआम, गुलाम बनाना, गुलाम बनाकर अन्य मुस्लिम देशों में दास की भांति विक्रय करना, हिजड़ा बनाना, महिलाओं को अपने हरमों में रखना, दासियों की भाँति अफ्रीकी व मुस्लिम देशों में बेचना, क़त्ल , वलात्कार आदि एक नियमित आवश्यक प्रक्रिया व शौक बना रखा था, ताकि वैदिक धर्म व भारतीय संस्कृति को मिटाया जा सके | बची खुची कमी मुग़ल साम्राज्य के शासकों, बाबर, अकबर, हुमायूं, शाहजहाँ व औरंगजेब ने उसी राह पर चलते हुए की |
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----- भारतवर्ष की जनसंख्या की एतिहासिक डेमोग्राफी का अध्ययन करते समय हम यह पाते हैं वर्ष १००० एडी में भारत की जनसंख्या १५ करोड़ थी जो १५००-१६०० एडी में बढ़ने की बजाय घटकर १० करोड़ ही रहजाती है, क्यों ? कोइ भी इतिहास या इतिहासकार इसका कारण नहीं स्पष्ट करता या नहीं करना चाहता, क्यों |
------क्योंकि मुस्लिमों से शासन अंग्रेजों के हाथ चलागया और अँगरेज़ इतिहासकारों को भ्रम फैलाने में ही अपना भला दिखाई देता था, उन्हें हिन्दुओं से क्या लाभ, क्योंकि वे भी वही करने वाले थे ,..अन्य आज के स्वतन्त्रता पूर्व व पश्चात के आधिकांश भारतीय इतिहासकार या तो अंग्रेज़ी इतिहास के तोता रटंत को दोहराने वाले, या विदेशी /अंग्रेज़ी में पढ़ने लिखने वाले आधे अँगरेज़-भारतीय या साम्यवादी/ कम्यूनिष्ट हैं जिन्हें भारतीय ज्ञान में कोइ दिलचस्पी नहीं है |
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-----अब यह देखा जाय की यह ५०० वर्षों का समय किस काल एवं राजशाही का था तो बात स्पष्ट होजाती है |
--------यह काल भारत पर मुस्लिम आक्रान्ताओं के अधिकार का काल था | महमूद गज़नवी, मोह.गोरी, इल्तुतमिश, गुलाम वंश , अलाउद्दीन खिलजी, तुगलक वंश, तैमूर लंग, सैय्यद , लोधी वंश ..जिन्होंने हिन्दू/भारतीयों का सामूहिक क़त्लेआम, गुलाम बनाना, गुलाम बनाकर अन्य मुस्लिम देशों में दास की भांति विक्रय करना, हिजड़ा बनाना, महिलाओं को अपने हरमों में रखना, दासियों की भाँति अफ्रीकी व मुस्लिम देशों में बेचना, क़त्ल , वलात्कार आदि एक नियमित आवश्यक प्रक्रिया व शौक बना रखा था, ताकि वैदिक धर्म व भारतीय संस्कृति को मिटाया जा सके | बची खुची कमी मुग़ल साम्राज्य के शासकों, बाबर, अकबर, हुमायूं, शाहजहाँ व औरंगजेब ने उसी राह पर चलते हुए की |
---- आगे अन्य बिंदु ..
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