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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

शुक्रवार, 6 अप्रैल 2018

एक चिकित्सा महाविद्यालय (मेडीकल कालिज ) का अस्पताल ऐसा भी --- डा श्याम गुप्त

                        ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...

 एक चिकित्सा महाविद्यालय (मेडीकल कालिज ) का अस्पताल ऐसा भी ---

---जहाँ रविवार के दिन वार्डों में कोइ स्टाफ---नर्सिंग, वार्ड बॉय, सफाईकर्मी, इंटर्न, हॉउस स्टाफ नहीं रहता सारे काम –रोगी से, चिकित्सा उपकरण से, चिकित्सा से संबंधित सभी कार्य स्वयं रोगी के तीमारदार करें----अन्य दिवस भी सभी रोगियों के लिए उचित स्टाफ की व्यवस्था नहीं है ---
----जहाँ समस्त वार्ड कमरों, फर्श, जन सुविधाओं में गन्दगी का भरी रहती है, फर्श आदि टूटे फूटे हैं|
-----रूफ सीलिंग वातानुकूलित होने के वावजूद कभी इसी नहीं चलते , रोगी अपने पंखों आदि का स्वयं इंतजाम करते हैं |---
----अनुपयोगी पुरानी बिल्डिंग ऐसा लगता है कभी भी गिर कर खतरनाक मंज़र उपस्थित कर सकती हैं | उनमें बंदरों ने डेरा जमाकर सारे अस्पताल में खौफ फैलाया हुआ है | वार्डों में चूहे व काक्रोच घुमते हुए देखे जा सकते हैं |
----जो देश में इतिहास- प्रसिद्द चिकित्सा विद्यालयों एवं थोम्प्सन मिलिट्री मेडीकल स्कूल के नाम से भारत के सर्व-प्रथम चिकित्सा विद्यालयों में से एक है |
---जो चिकित्सा शिक्षा एवं अपने  क्लिनिकल इलाज़ की गुणवत्ता का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुप्रसिद्ध चिकित्सा महाविद्यालय है, जहां के उतीर्ण छात्र सारे विश्व में फैले हुए हैं |
-----चिकित्सकों का कथन है कि अब यह वह चिकित्सा विद्यालय कहाँ रहा, जिला अस्पतालों से भी बदतर है| स्टाफ है ही नही सब कुछ हमें स्वयं ही करना पड़ता है | चिकित्सा प्रशासन लाचार है क्योंकि वास्तविक प्रशासन, प्रशासनिक अधिकारियों आई ऐ एस आफीसर्स, सचिवों, नेताओं के हाथ में है |

====== जी हाँ, मैं सरोजिनी नायडू चिकित्सा महाविद्यालय, आगरा की बात कर रहा हूँ | प्रस्तुत कुछ झलकियाँ हैं---


बाथरूम बिना दरवाजे


कोइ स्टाफ नहीं

गन्दगी और टूटफूट अस्पताल परिसर
जन सुविधा में खुला मेनहोल

रेस्ट रूम

नेयूरोलोजी वार्ड का बाथरूम

बाथरूम


सारे पलंग डोनेशन में मिले हुए हैं

टूटी फूटी पुराणी जर्जर इमारत जो कभी भी हादसे का कारण बन सकती है जहाँ बंदरों ने डेरा जमाया हुआ है

परिसर में बंदरों का आतंक

एसी काम नहीं कर रहा, पंखे का रोगी के परिजनों द्वारा जुगाड़


गन्दगी का साम्राज्य





 

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