....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
एक चिकित्सा महाविद्यालय (मेडीकल कालिज ) का अस्पताल ऐसा भी ---
---जहाँ रविवार के दिन वार्डों में कोइ
स्टाफ---नर्सिंग, वार्ड बॉय, सफाईकर्मी, इंटर्न, हॉउस स्टाफ नहीं रहता सारे काम –रोगी
से, चिकित्सा उपकरण से, चिकित्सा से संबंधित सभी कार्य स्वयं रोगी के तीमारदार करें----अन्य
दिवस भी सभी रोगियों के लिए उचित स्टाफ की व्यवस्था नहीं है ---
----जहाँ समस्त वार्ड कमरों, फर्श, जन सुविधाओं
में गन्दगी का भरी रहती है, फर्श आदि टूटे फूटे हैं|
-----रूफ सीलिंग वातानुकूलित होने के वावजूद कभी
इसी नहीं चलते , रोगी अपने पंखों आदि का स्वयं इंतजाम करते हैं |---
----अनुपयोगी पुरानी बिल्डिंग ऐसा लगता है कभी भी
गिर कर खतरनाक मंज़र उपस्थित कर सकती हैं | उनमें बंदरों ने डेरा जमाकर सारे
अस्पताल में खौफ फैलाया हुआ है | वार्डों में चूहे व काक्रोच घुमते हुए देखे जा
सकते हैं |
----जो देश में इतिहास- प्रसिद्द चिकित्सा
विद्यालयों एवं थोम्प्सन मिलिट्री मेडीकल स्कूल के नाम से भारत के सर्व-प्रथम
चिकित्सा विद्यालयों में से एक है |
---जो चिकित्सा शिक्षा एवं अपने क्लिनिकल इलाज़ की गुणवत्ता का अंतर्राष्ट्रीय
स्तर पर सुप्रसिद्ध चिकित्सा महाविद्यालय है, जहां के उतीर्ण छात्र सारे विश्व में
फैले हुए हैं |
-----चिकित्सकों का
कथन है कि अब यह वह चिकित्सा विद्यालय कहाँ रहा, जिला अस्पतालों से भी बदतर है|
स्टाफ है ही नही सब कुछ हमें स्वयं ही करना पड़ता है | चिकित्सा प्रशासन लाचार है
क्योंकि वास्तविक प्रशासन, प्रशासनिक अधिकारियों आई ऐ एस आफीसर्स, सचिवों, नेताओं
के हाथ में है |
====== जी हाँ, मैं सरोजिनी नायडू चिकित्सा
महाविद्यालय, आगरा की बात कर रहा हूँ | प्रस्तुत कुछ झलकियाँ हैं---
|
बाथरूम बिना दरवाजे |
|
कोइ स्टाफ नहीं |
|
गन्दगी और टूटफूट अस्पताल परिसर |
|
जन सुविधा में खुला मेनहोल |
|
रेस्ट रूम |
|
नेयूरोलोजी वार्ड का बाथरूम |
|
बाथरूम |
|
सारे पलंग डोनेशन में मिले हुए हैं |
|
टूटी फूटी पुराणी जर्जर इमारत जो कभी भी हादसे का कारण बन सकती है जहाँ बंदरों ने डेरा जमाया हुआ है |
|
परिसर में बंदरों का आतंक |
|
एसी काम नहीं कर रहा, पंखे का रोगी के परिजनों द्वारा जुगाड़ |
|
गन्दगी का साम्राज्य
|
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें