....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
१.विश्व की प्रथम मानव सभ्यता – देव-असुर सभ्यता --
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-----आदिकाल में प्रमुख रूप से ये जातियां थीं- देव, दैत्य, दानव, राक्षस, यक्ष, गंधर्व, भल्ल, वसु, अप्सराएं, रुद्र, मरुदगण, किन्नर, नाग आदि।
-----प्रारंभ में ब्रह्मा और उनके पुत्रों ने धरती पर विज्ञान, धर्म, संस्कृति और सभ्यता का विस्तार किया। इस दौर में शिव और विष्णु सत्ता, धर्म और इतिहास के केंद्र में होते थे।
------यह #प्रथमसृष्टि थी ---स्वयांभाव मनु -- समस्त धरती पर इन का राज्य था |---देवता और असुरों का काल अनुमानित 20 हजार ईसा पूर्व से लगभग 7 हजार ईसा पूर्व तक चला। ----
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२.#वैदिक सभ्यता -----फिर धरती के जल में डूब जाने के बाद-----(#महाजलप्लावन---मत्स्य अवतार---#द्वितीयसृष्टि ) -----ययाति और वैवस्वत मनु के काल और कुल की शुरुआत हुई। भारत में मनु की नौका के उतरने पर ----भारत भर में मानव फैला जहां से दुनिया भर में मानव का मार्ग प्रशस्त करता रहा | यही मानव विभिन्न सभ्यताएं स्थापित करता रहा |
-----दुनियाभर की प्राचीन सभ्यताओं से सनातन वैदिक हिन्दू धर्म का सम्बन्ध था। संपूर्ण धरती पर हिन्दू वैदिक धर्म ने ही लोगों को सभ्य बनाने के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में धार्मिक विचारधारा की नए-नए रूप में स्थापना की थी।
----आज दुनियाभर की धार्मिक संस्कृति और समाज में हिन्दू धर्म की झलक देखी जा सकती है चाहे वह यहूदी, यजीदी, रोमा, पारसी, बौद्ध धर्म हो या ईसाई-इस्लाम धर्म हो।
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------भातीय लोगों ने इस दौर में विश्वभर में विशालकाय मंदिर, भवन और नगरों का निर्माण कार्य किया किया था। हिन्दू धर्म ने अपनी जड़ें यूरोप से लेकर एशिया तक फैला रखी थी, जिसके प्रमाण आज भी मिलते हैं।
-------धर्म चाहे कोई भी हो उसका उद्भव सनातन धर्म यानि की हिन्दू धर्म में से ही हुआ है।
हिन्दू इतिहास ----एक लाख वर्षों का सनातन हिन्दू धर्म का संक्षिप्त इतिहास----- भाग एक ---
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अ.पृथ्वी की उत्पत्ति ---४ अरब वर्ष...वैदिक व विज्ञान दोनों ही मान्यताओं में -
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ब.मानव उत्पत्ति --- पृथ्वी पर मानव की उत्पत्ति---
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==१.-#विज्ञान के अनुसार —१लाख ४० हज़ार वर्ष पूर्व –अफ्रीका में ----२०००० वर्ष अफ्रीका से बाहर निकलने में लगे –
==२-#भारतीय शास्त्र के वैदिक साहित्य मतगणना अनुसार --- १लाख वर्ष पहले तो हिन्दू सनातन धर्म की स्थापना होचुकी थी ---धर्म ---सनातन धर्म – वैदिक संस्कृति---हिन्दू धर्म ---| मानव की उत्पत्ति तो भारत भूमि पर लाखों वर्ष पूर्व हुई थी |
\==#पाश्चात्य कथा -- छः युगों में, --संत आगस्टाइन मत –(सभी पाश्चात्य धर्मों में मानव-कथा महाजलप्रलय से प्रारंभ होती है )--
--प्रथम युग –मानव का अवतरण , प्रथम मानव –आदम या एडम्स से ..नोआ जलप्रलय तक ( ब्रह्म, ॐ असतो मा सद गमय .का ज्ञान व कथा यहाँ नहीं है )
--द्वितीय युग ---अब्राहम –सारे विश्व का पिता ब्रह्मा चतुर्मुख ---स्वय्न्भाव मनु, कश्यप , सप्तर्षि, शिव आदि पाश्चात्य वर्णन में नहीं हैं )
--तृतीय युग –अब्राहम से किंग डेविड तक ..( = राजा प्रथु )
--चतुर्थ युग –डेविड ---प्रभु की जनता का स्वर्ग से बेबीलोनिया में बसना (=राजा पृथु एवं मानव वंश का पृथ्वी पर बसना व फैलना)
--पंचम युग --- उस युग से जीसस क्राइस्ट का जन्म ..(=विभिन्न अवतारों के क्रिया कलाप, द्वापर-कृष्ण तक )
--छटवां युग –जीसस से अब तक –( = नवीन युग-कलियुग - कल्कि अवतार –भविष्य का
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==#भारतीय कथा – (वेदों , उपनिषद, महाभारत, रामायण आदि शास्त्रों के अनुसार )---
सनातन हिन्दू धर्म के १ लाख से भी ज्यादा वर्षों के लिखित इतिहास में लगभग ===20 हजार वर्ष पूर्व नए सिरे से वैदिक धर्म की स्थापना ===हुई और नए सिरे से सभ्यता का विकास हुआ। ( स्वय्न्भाव मनु का काल ---प्रथम सृष्टि _वैवस्वत मनु के काल में द्वितीय सृष्टि ) विकास के इस प्रारंभिक क्रम में हिमयुग की समाप्ति के बाद घटनाक्रम तेजी से बदला।
-----सनातन हिन्दू धर्म में ---प्रारम्भ— ब्रह्माण्ड व पृथ्वी की उत्पत्ति से होता है --शून्य युग,असद ब्रह्म , आदिनाद =ओम , स्वयंभू परब्रह्म से –पर ब्रह्म –अपरा माया ,प्रकृति --आदि-ब्रह्मा---आदि शिव ,महाविष्णु , ब्रह्मा के पुत्र - शिव (=एडम या आदम= प्रथम सभ्यता ----स्वय्न्भाव मनु..जलप्लावन –द्वितीय सभ्यता -वैवस्वत मनु = नोआ, नूह ..
-----वेद और अन्य शास्त्र , पुराण, रामायण , महाभारत पढ़ने पर हमें पता चलता है कि
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ब.मानव उत्पत्ति --- पृथ्वी पर मानव की उत्पत्ति---
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==१.-#विज्ञान के अनुसार —१लाख ४० हज़ार वर्ष पूर्व –अफ्रीका में ----२०००० वर्ष अफ्रीका से बाहर निकलने में लगे –
==२-#भारतीय शास्त्र के वैदिक साहित्य मतगणना अनुसार --- १लाख वर्ष पहले तो हिन्दू सनातन धर्म की स्थापना होचुकी थी ---धर्म ---सनातन धर्म – वैदिक संस्कृति---हिन्दू धर्म ---| मानव की उत्पत्ति तो भारत भूमि पर लाखों वर्ष पूर्व हुई थी |
\==#पाश्चात्य कथा -- छः युगों में, --संत आगस्टाइन मत –(सभी पाश्चात्य धर्मों में मानव-कथा महाजलप्रलय से प्रारंभ होती है )--
--प्रथम युग –मानव का अवतरण , प्रथम मानव –आदम या एडम्स से ..नोआ जलप्रलय तक ( ब्रह्म, ॐ असतो मा सद गमय .का ज्ञान व कथा यहाँ नहीं है )
--द्वितीय युग ---अब्राहम –सारे विश्व का पिता ब्रह्मा चतुर्मुख ---स्वय्न्भाव मनु, कश्यप , सप्तर्षि, शिव आदि पाश्चात्य वर्णन में नहीं हैं )
--तृतीय युग –अब्राहम से किंग डेविड तक ..( = राजा प्रथु )
--चतुर्थ युग –डेविड ---प्रभु की जनता का स्वर्ग से बेबीलोनिया में बसना (=राजा पृथु एवं मानव वंश का पृथ्वी पर बसना व फैलना)
--पंचम युग --- उस युग से जीसस क्राइस्ट का जन्म ..(=विभिन्न अवतारों के क्रिया कलाप, द्वापर-कृष्ण तक )
--छटवां युग –जीसस से अब तक –( = नवीन युग-कलियुग - कल्कि अवतार –भविष्य का
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==#भारतीय कथा – (वेदों , उपनिषद, महाभारत, रामायण आदि शास्त्रों के अनुसार )---
सनातन हिन्दू धर्म के १ लाख से भी ज्यादा वर्षों के लिखित इतिहास में लगभग ===20 हजार वर्ष पूर्व नए सिरे से वैदिक धर्म की स्थापना ===हुई और नए सिरे से सभ्यता का विकास हुआ। ( स्वय्न्भाव मनु का काल ---प्रथम सृष्टि _वैवस्वत मनु के काल में द्वितीय सृष्टि ) विकास के इस प्रारंभिक क्रम में हिमयुग की समाप्ति के बाद घटनाक्रम तेजी से बदला।
-----सनातन हिन्दू धर्म में ---प्रारम्भ— ब्रह्माण्ड व पृथ्वी की उत्पत्ति से होता है --शून्य युग,असद ब्रह्म , आदिनाद =ओम , स्वयंभू परब्रह्म से –पर ब्रह्म –अपरा माया ,प्रकृति --आदि-ब्रह्मा---आदि शिव ,महाविष्णु , ब्रह्मा के पुत्र - शिव (=एडम या आदम= प्रथम सभ्यता ----स्वय्न्भाव मनु..जलप्लावन –द्वितीय सभ्यता -वैवस्वत मनु = नोआ, नूह ..
-----वेद और अन्य शास्त्र , पुराण, रामायण , महाभारत पढ़ने पर हमें पता चलता है कि
१.विश्व की प्रथम मानव सभ्यता – देव-असुर सभ्यता --
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-----आदिकाल में प्रमुख रूप से ये जातियां थीं- देव, दैत्य, दानव, राक्षस, यक्ष, गंधर्व, भल्ल, वसु, अप्सराएं, रुद्र, मरुदगण, किन्नर, नाग आदि।
-----प्रारंभ में ब्रह्मा और उनके पुत्रों ने धरती पर विज्ञान, धर्म, संस्कृति और सभ्यता का विस्तार किया। इस दौर में शिव और विष्णु सत्ता, धर्म और इतिहास के केंद्र में होते थे।
------यह #प्रथमसृष्टि थी ---स्वयांभाव मनु -- समस्त धरती पर इन का राज्य था |---देवता और असुरों का काल अनुमानित 20 हजार ईसा पूर्व से लगभग 7 हजार ईसा पूर्व तक चला। ----
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२.#वैदिक सभ्यता -----फिर धरती के जल में डूब जाने के बाद-----(#महाजलप्लावन---मत्स्य अवतार---#द्वितीयसृष्टि ) -----ययाति और वैवस्वत मनु के काल और कुल की शुरुआत हुई। भारत में मनु की नौका के उतरने पर ----भारत भर में मानव फैला जहां से दुनिया भर में मानव का मार्ग प्रशस्त करता रहा | यही मानव विभिन्न सभ्यताएं स्थापित करता रहा |
-----दुनियाभर की प्राचीन सभ्यताओं से सनातन वैदिक हिन्दू धर्म का सम्बन्ध था। संपूर्ण धरती पर हिन्दू वैदिक धर्म ने ही लोगों को सभ्य बनाने के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में धार्मिक विचारधारा की नए-नए रूप में स्थापना की थी।
----आज दुनियाभर की धार्मिक संस्कृति और समाज में हिन्दू धर्म की झलक देखी जा सकती है चाहे वह यहूदी, यजीदी, रोमा, पारसी, बौद्ध धर्म हो या ईसाई-इस्लाम धर्म हो।
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------भातीय लोगों ने इस दौर में विश्वभर में विशालकाय मंदिर, भवन और नगरों का निर्माण कार्य किया किया था। हिन्दू धर्म ने अपनी जड़ें यूरोप से लेकर एशिया तक फैला रखी थी, जिसके प्रमाण आज भी मिलते हैं।
-------धर्म चाहे कोई भी हो उसका उद्भव सनातन धर्म यानि की हिन्दू धर्म में से ही हुआ है।
-------क्रमश ------अगली पोस्टों में --आगे विश्व की ऐसी ही जगहों का सचित्र वर्णन है जहां कभी हिन्दू धर्म अपने चरम पर हुआ करता था।----सभी चित्र --गूगल एवं निर्विकार
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