....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
१.--मिस्र में ६००० वर्ष पुराना शिवलिंग
२.अफ्रीका-६००० वर्ष –शिव लिंग
----चित्र गूगल व निर्विकार -----
हिन्दू इतिहास ----एक लाख वर्षों का
हिन्दू धर्म का संक्षिप्त इतिहास -----भाग तीन--अफ्रीका, चीन, यजीदी, रूस ----
२.अफ्रीका-६००० वर्ष –शिव लिंग
५. चीन में हिन्दू मंदिर के खंडहर
६.शिव पार्वती , चीनी बौने के साथ एवं चीनी ड्रेगन –बादामी, कर्नाटक भारत
७. हिन्दू मंदिर अज़र्बेजान
८. माता का त्रिशूल ..अज़र्बेजान मंदिर
९. आयरलेंड में तारा पर्वत पर ---शिवलिंग पूजा
१० स्वास्तिक –बुल्गारिया में
११. यह विष्णु मूर्ति पाई गई। 7 वर्षों से उत्खनन कर रहे समूह के डॉ. कोजविनका कहना है कि मूर्ति के साथ ही अब तक किए गए उत्खनन में उन्हें प्राचीन सिक्के, पदक, अंगूठियां और शस्त्र भी मिले हैं।
१२.देवताओं का किला ----तुर्कमेनिस्तान
१३.हरप्पा टाइप सील---रूस
१४.मंगोलिया में , सिवा नखलिस्तान में नमक पीसती हुई लड़की ,चाकी से ---जो भारतीय विशेषता है
५.अफ्रीकी
में हिन्दू -- साउथ अफ्रीका में भी शिव की मूर्ति का पाया जाना इस
बात का सबूत है कि आज से 6 हजार
वर्ष पूर्व अफ्रीकी लोग भी हिंदू धर्म का पालन करते थे।
-------साउथ
अफ्रीका के सुद्वारा नामक एक गुफा में पुरातत्वविदों को महादेव की 6 हजार वर्ष पुरानी शिवलिंग की मूर्ति मिली जिसे कठोर ग्रेनाइट पत्थर से बनाया गया है। इस
शिवलिंग को खोजने वाले पुरातत्ववेत्ता हैरान हैं कि यह शिवलिंग यहां अभी तक
सुरक्षित कैसे रहा।
६.चीन
में हिन्दू : चीन के
इतिहासकारों के अनुसार चीन के समुद्र से लगे औद्योगिक शहर च्वानजो में और उसके
चारों ओर का क्षेत्र कभी हिन्दुओं का तीर्थस्थल था। वहां 1,000 वर्ष पूर्व के निर्मित हिन्दू मंदिरों के खंडहर
पाए गए हैं। इसका सबूत चीन के समुद्री संग्रहालय में रखी प्राचीन मूर्तियां हैं।
वर्तमान
में चीन में कोई हिन्दू मंदिर तो नहीं है, लेकिन 1,000 वर्ष पहले सुंग राजवंश के दौरान दक्षिण
चीन के फुच्यान प्रांत में इस तरह के मंदिर थे लेकिन अब सिर्फ खंडहर बचे हैं।
७.यजीदी हिन्दू है? यजीदी धर्म भी विश्व की प्राचीनतम धार्मिक परंपराओं में से एक है। इस कुछ
इतिहासकार हिन्दू धर्म का ही एक समाज मानते हैं।
यजीदियों की गणना के अनुसार अरब में यह परंपरा 6,763 वर्ष पुरानी है अर्थात ईसा के 4,748 वर्ष पूर्व यहूदियों, ईसाइयों और मुसलमानों से पहले से यह
परंपरा चली आ रही है। यजीदियों की कई मान्यताएं हिन्दू और ईसाइयत से भी
मिलती-जुलती हैं। ईसाइयत के आरंभिक दिनों में मयूर पक्षी को अमरत्व का प्रतीक
माना जाता था। बाद में इसे हटा दिया गया।
----हिन्दुओं की तरह ही यजीदियों में जल का महत्व है। धार्मिक परंपराओं में जल से अभिषेक किए जाने की परंपरा है। तिलक लगाते हैं और अपने मंदिर में दीपक जलाते हैं। हिन्दू देतता कार्तिकेय जैसे दिखाई देने वाले देवता की पूजा करते हैं। उनके मंदिर और हिन्दुओं के मंदिर समान नजर आते हैं। पुनर्जन्म को मानते हैं। यजीदी अपने ईश्वर की 5 समय प्रार्थना करते हैं। सूर्योदय व सूर्यास्त में सूर्य की ओर मुंह करके प्रार्थना की जाती है। स्वर्ग-नरक की मान्यता भी है। धार्मिक संस्कार कराने वाले विशेषज्ञों की परंपरा है। व्रत, मेले, उत्सव की परंपरा भी है। समाधियां व पूजागृह (मंदिर) भी हैं।
----हिन्दुओं की तरह ही यजीदियों में जल का महत्व है। धार्मिक परंपराओं में जल से अभिषेक किए जाने की परंपरा है। तिलक लगाते हैं और अपने मंदिर में दीपक जलाते हैं। हिन्दू देतता कार्तिकेय जैसे दिखाई देने वाले देवता की पूजा करते हैं। उनके मंदिर और हिन्दुओं के मंदिर समान नजर आते हैं। पुनर्जन्म को मानते हैं। यजीदी अपने ईश्वर की 5 समय प्रार्थना करते हैं। सूर्योदय व सूर्यास्त में सूर्य की ओर मुंह करके प्रार्थना की जाती है। स्वर्ग-नरक की मान्यता भी है। धार्मिक संस्कार कराने वाले विशेषज्ञों की परंपरा है। व्रत, मेले, उत्सव की परंपरा भी है। समाधियां व पूजागृह (मंदिर) भी हैं।
७.रूस में हिन्दू : एक हजार
वर्ष पहले रूस ने ईसाई धर्म स्वीकार किया। इससे पहले यहां वैदिक पद्धति के
आधार पर हिन्दू धर्म प्रचलित था।
-----रूस में आज भी पुरातत्ववेताओं को कभी-कभी खुदाई करते हुए प्राचीन रूसी देवी-देवताओं की लकड़ी या पत्थर की बनी मूर्तियां मिल जाती हैं। कुछ मूर्तियों में दुर्गा की तरह अनेक सिर और कई-कई हाथ बने होते हैं। रूस के प्राचीन देवताओं और हिन्दू देवी-देवताओं के बीच बहुत ज्यादा समानता है।
-----रूस में आज भी पुरातत्ववेताओं को कभी-कभी खुदाई करते हुए प्राचीन रूसी देवी-देवताओं की लकड़ी या पत्थर की बनी मूर्तियां मिल जाती हैं। कुछ मूर्तियों में दुर्गा की तरह अनेक सिर और कई-कई हाथ बने होते हैं। रूस के प्राचीन देवताओं और हिन्दू देवी-देवताओं के बीच बहुत ज्यादा समानता है।
---- प्राचीनकाल
में रूस के मध्यभाग को जम्बूद्वीप का इलावर्त कहा जाता था। यहां देवता और
दानव लोग रहते थे।
कुछ वर्ष पूर्व ही रूस में वोल्गा प्रांत के स्ताराया मायना (Staraya Maina) गांव में विष्णु की मूर्ति मिली थी जिसे 7-10वीं ईस्वी सन् का बताया गया। यह गांव 1700 साल पहले एक प्राचीन और विशाल शहर हुआ करता था।
कुछ वर्ष पूर्व ही रूस में वोल्गा प्रांत के स्ताराया मायना (Staraya Maina) गांव में विष्णु की मूर्ति मिली थी जिसे 7-10वीं ईस्वी सन् का बताया गया। यह गांव 1700 साल पहले एक प्राचीन और विशाल शहर हुआ करता था।
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माना जाता है कि रूस में वाइकिंग या स्लाव लोगों के आने से पूर्व शायद वहां
भारतीय होंगे या उन पर
भारतीयों
ने राज किया होगा।
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------टाइटन्स(
जिन्हें असुर कहा जाता था )
वे महान शिव भक्त थे रावण की भाँति... | जन कथाओं के अनुसार ब्रोंज(कांसा)बनाने की शक्ति वाला देवता लेकर आया था जो देवी दनु के
पुत्र थे | अर्थात कश्यप
की पत्नी दनु( दक्ष पुत्री )
के पुत्र जो सारी आयरलेंड में राज्य करते थी एवं डेन्यूब नदी (दनु
नदी )के किनारे किनारे सारे योरोप में ----दनु के पुत्र दानव –समस्त योरोप में डेन्यूब नदी के किनारे
किनारे बसे | डेन्यूब नदी योरोप के विभिन्न देशों में
दुनाज़,दूना,दुनेव,दुनारिया,आदि नामों से जानी जाती है |
यह योरोप की सबसे बड़ी नदी है वोल्गा के
बाद |
-----यह विष्णु की मूर्ति शायद वही
मूर्ति है जिसे ललितादित्य ने स्त्री राज्य में बनवाया था। चूंकि स्त्री राज्य को
उत्तर कुरु के दक्षिण में कहा गया है तो शायद स्ताराया मैना पहले स्त्री राज्य
में हो।
-------क्रमश --भाग चार --
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