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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

गुरुवार, 30 अप्रैल 2020

क्या हर बात के लिए नेहरू ही ज़िम्मेदार हैं ----डा श्याम गुप्त

                             ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ... 

क्या हर बात के लिए नेहरू ही ज़िम्मेदार हैं ----
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आजकल प्रायः इस बात पर विपक्षी आलोचना करते हैं कि क्या हर बात के लिए नेहरू ही ज़िम्मेदार हैं ----

-------हाँ, यदि किसी कालखंड में मानव आचरण , संस्कृति व उस समाज -राष्ट्र का मूल धर्माचरण गिरता है देश-..पतन को प्राप्त होता है एवं आसुरी वृत्तियों का वर्धन होता है , तो उस कालखंड के प्रारम्भ कर्ता एवं नायक ही दोषी माने जायंगे |
--- सभी पंथ एक ही बात कहते हैं कि सब धर्म एक ही है और एक ही बातें कहते हैं, क्योंकि ईश्वर एक ही है -----परन्तु ..
---यदि किसी समाज धर्म संस्कृति में ईश्वर के साथ साथ मानव की बात व व्यवहारिकता नहीं है तो वह मानवीय नहीं है सत्य नहीं है ,
जैसा ईशोपनिषद कहता है ---विध्यान्चाविध्या यस्तद वेदोभय सह .....विद्या -अविद्या ...ज्ञान और संसार को साथ साथ जानना चाहिए |
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अर्थात बात व्यवहार व तौर तरीकों की है जिस पर देश, राष्ट व संस्कृति की प्रगति आधारित है ---

---एक व्यक्ति १० वर्ष तक देश का सर्वेसर्वा रहता है परन्तु देश वहीं का वहीं रहता है , दुनिया उसकी कोइ महत्त्व स्थापित नहीं होता , पिछलग्गू रहता है ..

---वहीं एक व्यक्ति के काल में एक या दो वर्षों में ही वही देश विश्व में अग्रणी पंक्ति में जा खडा होता है ---

----यही तो ज्ञान, कर्म , तौर तरीके व व्यवहारिता की बात है | यदि नेहरू के स्थान पर पटेल प्रधानमंत्री होते तो निश्चय ही देश में 70 वर्ष पहले ही मोदी राज आजाता |
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