....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ.
काव्यनिर्झरिणीकी रचनाएँ ----रचना दो ---सत्यं शिवम् सुन्दरम
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बिना सत्य के शिवं कहाँ है ,
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काव्यनिर्झरिणीकी रचनाएँ ----रचना दो ---सत्यं शिवम् सुन्दरम
मेरा द्वितीय काव्य संग्रह 'काव्यनिर्झरिणी' 1960 से 2005 तक रचित तुकांत काव्य-रचनाओं का संग्रह है |---सुषमा प्रकाशन , आशियाना द्वारा प्रकाशित , प्रकाशन वर्ष -२००५ ..
—नराकास , राजभाषा विभाग, गृहमंत्रालय, उप्र से "राजभाषा सम्मान व पुरस्कार -२००५," प्राप्त
2..सत्यं शिवम् सुन्दरम
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जो है सत्य वही तो शिव है ,
यदि वह शिव है तो वह प्रिय है |
वह सुन्दर है वही नित्य है,
यदि वह शिव है और सत्य है |
बिना शिवम् माधुर्य कहाँ है |
चाहे शिव भी हो सुन्दर भी ,
बिना सत्य सौन्दर्य कहाँ है |
सत्य सदा ही शिव होता है,
शिव ही सबको प्रिय होता है |
जो कल्याण करे जन मन का ,
वह ही तो सुन्दर होता है |
सत्य न हो जो कर्म निरंतर ,
तथ्यहीन हो जिसका अंतर |
चाहे वह शिव हो या सुन्दर,
होगा वह सर्वथा असुंदर |
यदि कविता में सत्य नहीं है,
और कथ्य यदि तथ्य नहीं है |
उसमें सत का तत्व नहीं है ,
तो वह कविता कथ्य नहीं है |
यदि कविता में सत्य रहेगा,
उसमें शिव का तत्व रहेगा |
कहलायेगी सुन्दर अनुपम,
होगी सत्यं शिवम् सुन्दरम ||
क्रमश रचना तीन---
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