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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त
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शनिवार, 23 मार्च 2019

सरोजिनी नायडू चिकित्सा महाविद्यालय , आगरा के snmc ६४ बैच के चिकित्सकों का सम्मिलन --डा श्याम गुप्त

....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ.

दिनांक १मार्च  २०१९  सरोजिनी नायडू चिकित्सा महाविद्यालय , आगरा के snmc ६४ बैच के चिकित्सकों का सम्मिलन ग्रांड होटल , आगरा में हुआ | सम्मिलन में डा श्याम गुप्त की नवीन पुस्तक 'पीर ज़माने की' ग़ज़ल संग्रह का लोकार्पण साथी चिकित्सकों द्वारा संपन्न हुआ |








डा श्याम गुप्त की नवीन पुस्तक 'पीर ज़माने की' ग़ज़ल संग्रह का लोकार्पण साथी चिकित्सकों द्वारा संपन्न



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गुरुवार, 1 फ़रवरी 2018

वो जब आये आये, बहुत याद आये -----मेरा शहर, ख़ास शहर.... डा श्याम गुप्त

                            ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...


वो जब आये आये, बहुत याद आये -----मेरा शहर, ख़ास शहर....
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                      विश्व इतिहास के सबसे बड़े, समृद्ध व शक्तिशाली साम्राज्य मुग़ल साम्राज्य की राजधानी रहा आगरा बहुत खास शहर है । महाभारत में अग्रवन के नाम से वर्णित एवं उससे भी प्राचीन काल में आर्यगृह के नाम से जाना जाने वाला आगरा हमारे समय में यह शहर छोटा जरूर था, लेकिन वहां जन-जीवन की हर वस्तु उपलब्धि थी।
------- यमुना नदी के दोनों ओर बसा हुआ सुन्दर शहर, पश्चिमी तट पर प्रशासनिक मूल शहर के रूप में स्थित था | रावतपाड़ा फुलट्टी हर प्रकार के सामान, मसालों की मंडी, बेलनगंज, और आठ रेलवे-स्टेशन वाला विशिष्ट शहर |
------ नगर के चारों कोनों पर स्थित प्रसिद्द शिवमंदिर एवं मध्य शहर में मनकामेश्वर मंदिर जहाँ हर व्यापारी नौकरीपेशा सुबह शाम दर्शन करके हाथ जोड़कर जाता था, जहां सावन माह में बड़े बड़े लगते हुए मेले |
-------पेठे व दालमोठ जिनकी आज तक कोइ अन्य शहर नक़ल नहीं कर पाया | रोक्सी, बसंत ताज जैसे पुराने टाकीज पर टिकिटों की लाइनें और तागों, इक्कों व रिक्शों की आपसी होड़ | गालिव का आगरा, आगरा की प्रसिद्द रामलीला |
----- शहर के लगभग मध्य-पश्चिम में हरीपर्वत पर अधिक भीड़ नहीं होती थी आगे सेंट्रल जेल और उसके बराबर में तालाब था। शहर में तालाबों का प्रबंध इतना अच्छा था कि भारी से भारी वर्षा में भी कभी शहर में जलभराव नहीं होता था। सारा पानी तालाबों में समा जाता था और शहर का भूगर्भ जल स्तर भी अच्छा बना रहता था। अबतो तालाबों को पाटकर बहुमंजिला इमारतें बन गयी हैं और सभी नगरों की भांति पानी निकासी उचित न होने से शहर सारा तालाब बन जाता है।
------- पुराना शहर शिक्षा और चिकित्सा के लिए दूर दूर तक देश-विदेश में प्रसिद्द था। अंग्रेजों के समय का थोम्प्सन मिलिटरी मेडीकल स्कूल अर्थात अब एस एन मेडीकल कॉलेज की इतनी साख थी कि लोग राजधानी दिल्ली से भी इलाज कराने आते थे। सारा राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश पंजाब के क्षेत्र को भी यह चिकित्सा सेवा से अभिसिंचित करता था | तमाम नेतागण भी यहीं इलाज़ कराते थे | इस कालिज एवं अन्य सरकारी अस्पतालों में मरीजों को ऐसी सुविधाएं उपलब्ध थीं कि आज प्राइवेट हॉस्पिटल भी वैसी सुविधाएं भारी भरकम खर्च के बाद भी नहीं दे पाते | सरकारी व मेडिकल कालिज के चिकित्सक प्राइवेट प्रेक्टिस करते थे लेकिन सरकारी कार्य वाधित नहीं होता था | उनकी प्राथमिकता एसएन मेडीकल कॉलेज ही रहता था। वे मरीजों से संवेदनाओं जुडे रहते थे। एस एन मेडीकल कालिज के चिकित्सक-अध्यापकों का मान शासन, प्रशासन के ऑफीसर से कहीं बहुत अधिक था |
-------- राजकीय हाई स्कूल शहर का सर्वश्रेष्ठ स्कूल होता था।शिक्षा की गुणवत्ता व मानकों का विशेष ध्यान रखा जाता था एवं मैरिट से ही प्रवेश होते थे। प्रधानाचार्य किसी की भी, यहां तक की जिलाधिकारी की सिफारिश पर भी प्रवेश नहीं देते थे। यूपी बोर्ड परीक्षाओं में यहीं से सबसे ज्यादा प्रथम डिवीजन आती थीं। इसके बाद अन्य कालेजों का नंबर आता था। मेरे ही समय में ही यह इंटर कालिज बना था एवं इंटर कक्षाएं प्रारम्भ हुईं थी और जी आई सी के नाम से प्रसिद्द हुआ | | जीआईसी की इतनी प्रसिद्धि थी कि आगरा के प्रसिद्ध अंग्रेज़ी स्कूल सेंटपीटर्स को छोड़कर छात्र यहाँ प्रवेश लेते थे। आगरा कालिज विश्व के महान कालेजों में से एक था और सेंटजांस कालिज पढाई व अनुशासन में बेजोड़ |
------- और ताजमहल, लालकिला, एतमादउद्दौला, सिकंदरा आदि सुप्रसिद्ध इमारतों और शहर में भ्रमण करते हुए विदेशी सेलानियों और वस्तुओं के लिए मोल-टोल करते हुए हाकरों आदि की बात तो सभी जानते हैं|

----यादों की गलियाँ तो बहुत हैं --- पर अब आगरा वो आगरा कहाँ रहा |


शुक्रवार, 14 मार्च 2014

आगरा में सरोजिनी नायडू चिकित्सा महाविद्यालय के १९६४ बैच के चिकित्सकों द्वारा स्वर्ण-जयन्ती समारोह का आयोजन ..डा श्याम गुप्त

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                                आगरा महानगर में सरोजिनी नायडू चिकित्सा महाविद्यालय के १९६४ बैच के चिकित्सकों  द्वारा  ८/९.मार्च  २०१४   को अपने बैच की स्वर्ण जयन्ती समारोह का आयोजन किया गया | देश –विदेश से पधारे दुनिया भर में फैले चिकित्सकों ने पत्नियों व पतियों सहित आयोजन में बढ़ चढ़ कर भाग लिया एवं विभिन्न रंगारंग सांस्कृतिक आयोजनों व होली के अवसर पर फाल्गुनी महोत्सव में भी खूब रंगारंग आयोजन का आनंद लिया|



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मथुरा, (राधा-कृष्ण के जन्म व लीलाधाम ..गोकुल, बरसाना, वृन्दावन, महावन आदि ) आगरा, भरतपुर का त्रिकोणीय क्षेत्र भारत के ब्रज-क्षेत्र के रूप में जाना जाता है जो फाल्गुनी बयार के रंगारंग आयोजनों व प्रथाओं का उद्घाटक सर्वप्रथम व प्राचीनतम मूलक्षेत्र के रूप में इतिहास में एवं विश्व में प्रसिद्द है | ब्रज-धाम.. कृष्ण-राधा की बाल-लीलाएं, गोप-गोपिकाओं, राधा-कृष्ण के प्रेम, रास-क्रीडाएं, एवं विविध फाल्गुनी क्रीडाओं आदि के लिए विश्व प्रसिद्द है …..बरसाने की लठामार होली को आज विश्व में कौन नहीं जानता | आगरा महानगर इस ब्रज-क्षेत्र जिसे सांस्कृतिक,धार्मिक, दार्शनिक रूप से महानतम व ईश्वरीय धाम कहा जता है इस त्रिकोण का केंद्र है | 

        समारोह का आयोजन आगरा स्थित १९६४ बैच के चिकित्सकों ..डा संध्या अग्रवाल, प्रोफ.स्त्री-चिकित्सा विज्ञान, डा सुरेश कपूर, डा संजय टंडन, डा अरविंद कुंटे एवं डा बी एम् अग्रवाल द्वारा  आगरा स्थित सभी १९६४ बैच के चिकित्सकों के सहयोग से स्थानीय ग्रांड होटल में किया गया |

डा व्यास , डा पी एन सिंह एवं त्रिलोकी नाथ का 
श्रीमती नयना व्यास के गायन पर नृत्य
 
 
 
चिकित्सकों व पत्नियों का नृत्य 


डा संध्या अग्रवाल  एवं डा सुरेश कपूर समारोह का प्रारम्भ करते हुए
१९६४ बैच के छात्र चिकित्सक



विचार विमर्श व परिचय

लखनऊ के डा एस बी गुप्ता विचार प्रकट करते हुए


परिचय


कालिज के रखरखाव पर चिंता एवं समाधान खोजते हुए पूर्व  चिकित्सक छात्र









              


      

        

           

 

 




डा एस एन अग्रवाल का कविता पाठ

श्रीमती नयना व्यास का गायन

        द्वितीय सत्र शाम को बोम्बे से आए हुए डा नवीन व्यास एवं श्रीमती नयना व्यास के सुमधुर गायन से प्रारम्भ हुआ | चिकित्सकों एवं पत्नियों ने गीत, ग़ज़ल, कविता एवं नृत्य द्वारा कार्यक्रम को रंगारंग कर दिया | गीतों की धुनों पर चिकित्सक गण खूब थिरके | फूलों की होली एवं श्रीमती सुषमा गुप्ता के वरसाने की लठामार होली गायन एवं नृत्य के साथ इस सत्र का समापन हुआ | 

डा एस बी गुप्ता की ग़ज़ल..लो आज छेड़ ही देते हैं उस फ़साने को."

         
फूलों की होली








  
सुषमा गुप्ता का लठामार होली गायन मैं तो खेलूंगी श्याम संग होरी...


  
गुरु वन्दना 

 
श्रीमती नयना व्यासका गायन

         द्वितीय दिवस दि ९.३.१४ को गुरु वन्दना से कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ | इलाहाबाद चिकित्सा महाविद्यालय के पूर्व प्रोफ डा ओ पी गुप्ता सभी पुराने साथियों के छात्रकाल के चित्रों को अपने लेपटाप में सहेजकर लाये थे  ..उसका प्रदर्शन किया गया एवं सभी का अपने पुराने चित्र के साथ अपने विचार एवं संस्मरण आदि सुनाते हुए स्मृति-चित्र निर्मित किये गए| सभी साथियों को स्मृति-चिन्ह व भेंट प्रदान के पश्चात  पुनः सम्मिलन की इच्छा व आशा लिए श्रीमती नयना व्यास द्वारा वन्देमातरम गीत के साथ समारोह का समापन हुआ |
डा एस बी गुप्ता एवं सुषमा गुप्ता...वो चंद पल जो तेरे साथ गुजारे हमने..."

डा संध्या अग्रवाल अपने चित्र के साथ