अस्माहुस्सैन फैशन डिजाइनर --हम क्या पहनते हैं ,और सामने वाले को कैसे प्रस्तुत करते हैं , इशी से पहली छवि बनतीहै, अतः हमें परिवेश के हिसाव से पोशाक चुननी चाहिए।
डॉ विश्वजीत कुमार होपकिंस यूनीवर्सिटी ---व्यक्तित्व वनावती नहीं होना चाहिए ,जो अन्दर हो वही बाहर झलके ,तो बेहतर छवि बनती है। इसमें पोशाकों की कोई बहुत बड़ी भुमिका नहीं होती।
जयंत कृष्णा टी सी एस हेड---पूरी दुनिया भारत को टेलेंट -पूल के रूप में देखती है, भारतीयों में मैनर्स को लेकर विदेशियों की सोच अच्छी नहीं है ,यदि यह अच्छी होजाय-------जरूरी है की हमारा क्लाइंट हमारे बारे मैं क्या सोचता है ,हम अपनी कैसी छवि उसके सामने प्रस्तुत करना चाहते हैं।
--------- सोचिये ,विचारिये -- अब व्यक्तित्व व छवि के बारे मैं हमें कपड़े बेचने व सिलने वाले तथा विदेशी विचारों से भ्रमित सॉफ्टवेयर बेचने वाले बताएँगे । विदेशी जो कल्चर के नाम पर अधकचरे हैं ,युगों पुराणी शाश्वत नवीन ,इतिहास मैं सबसे अधिक मैनर्स वाली भारतीय संस्कृति को मैनर्स सिखायेंगे। हाँ, अंग्रेजी व विदेशी अर्धसत्य विचारों से भ्रमित लोगों के बारे मैं यह हो सकता है।
-----डॉ विस्वजीत का कहना ही वास्तविक है ,जो अमेरिका से सम्बद्ध होकर भी भटके नहीं । बाकी तो सब
तो भ्रमित धंधे बाज़ ही हैं। ---हम कब सुधरेंगे।