क्या ना किस पल होजाये,
जाने क्या कल होजाये ।
रोकलो अश्क अपने तुम,
यहां न दल -दल होजाये ।
अदायें और न बिखेरो ,
मन ना चन्चल होजाये ।
पुकारो न इतना दूर से ,
श्याम’ न ्हलचल होजाये॥
थक गये
जहां था दिल वहीं ्रख दो,
हाथ का जाम कहीं रख ्दो ।
थक गये हैं अब कांधे ,
रूह का बोझ कहीं रखदो ।
सांस को बुझने न दो,
लवों पे ज़िन्दगी रख दो।
तप रहा माथा,अब तो,
श्याम’गर्म हथेली रख दो॥
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