भारत उभर रहा है,
विश्व में सुपर पाव र बनकर;
खडा होरहा है,बडे-बडों के सम्मुख,तनकर ।
भारतीय विदेशों में भी,सत्ता शीर्ष पर हैं,
क्या हुआ जो वे, वहीं के नागरिक हैं ।
हम अपनी परम्परा व,
सान्स्क्रितिक निधि का;
करोडों डालरों में निर्यात कर रहे है।
भारतीय कलाकार, विदेशों में-
जम कर आइटम दे रहे हैं।
हां, फ़िल्मों की अधिकांश शूटिन्ग
विदेशों में होती है, और--
भारतीय सन्सक्रिति,
विदेशी सन्स्कारों में घुलकर,
विलीन होती है।
तो क्या हुआ,
एन जी ओ व आत्म विश्वास से लबालव ,
हमारी युवा पीढी के कारण,
हमारा विदेशी मुद्रा भन्डार तो,
अरबों में बढ्ता है ।
कुछ पाने के लिये,
कुछ खोना ही पड्ता है ॥
तस्वीर दो
चमकीले अर्ध सत्य-विकास, के शोर में,
पतन की वास्तविकता कहते,
सच्चे दस्तावेज़,गुम होगये हैं;
हम, चकाचौंध देखकर,
खुश हो रहे हैं।
मित्तल ने आर्सेलर खरीद ली,
टाटा ने कोरस,
सुनीता ने जीता आसमान;
और अम्बानी ने, विश्व के -
सबसे धनी होने का खिताब।
पर क्या हम ये बता पायेंगे,
देश को समझा पायेंगे; कि--
वे करोडों भारतीय, जो आज भी=
गरीबी रेखा के नीचे हैं,
कब ऊपर आयेंगे ?
क्या कारों के अम्बार,
फ़्लाई ओवरों की भर मार;
आर्सेलर या कोरस,
या चढता शेयर बाज़ार;
उन्हें,दो बक्त का भोजन,
( कब)दे पायेंगे??
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