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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

रविवार, 30 अगस्त 2009

क्या होगया है मीडिया की समझ को --


डाक्टरों ने पकडी हार्ट अटैक की नब्ज़ -शीर्षक से लगता है कि हार्ट अटैक पर काबू पालिया गया ,जबकि आप समाचार पढेंगे तो पता चलता है कि ,शरीर में दवा प्रवेश कराने का नवीन तरीका ईजाद किया गया है ,नसें (खून ले जाने वाली शिराए ) न मिलाने की स्थिति में दवाएं सीधा बोने-मेरो में डाली जा सकती है। अब इस भ्रामक समाचार का क्या किया जाय ?
अन्य समाचार में दूल्हे के साथ बैठने वाले "सह वाला " में श्री योगेश प्रवीण जिन्हें इतिहासविद बताते हैं (अखवार वाले) उन्हें 'सह ' और 'शाह' में अन्तर ही नही पता ,जो सह शब्द की उत्पत्ति बादशाह से कहने लगे। सह का सीधा अर्थ हिन्दी का साथ रहने वाला है । पर दूर की कौडी जो लानी है। हद है भई | आप ही सोचिये।

1 टिप्पणी:

Urmi ने कहा…

बहुत खूबसूरती से आपने सच्चाई को प्रस्तुत किया है और बेहद सुंदर ढंग से शब्दों में पिरोया है ! इतना अच्छा लगा कि तारीफ के लिए अल्फाज़ कम पर गए! मीडिया को सिर्फ़ मसालेदार ख़बर से मतलब है और ये नहीं देखते की उसमे सच्चाई कितनी है! आपने सही मुद्दे को लेकर लिखा है ! अच्छा लगा पढ़कर!