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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

रविवार, 25 अक्तूबर 2009

वही सब कुछ ---

वही सब कुछ सब जगह है,
वही मैं , तू और वह है ।

वही मिट्टी,वही पानी,
वो हवा की रीति पुरानी।

पंछी और बसंत बहारें,
भंवरे गुनु-गुनु बचन उचारें।

वही कृष्ण हैं, राम वही हैं,
राधा और घनस्याम वही हैं।

पर्वत पर चन्दा है वो ही,
दुनिया का धंधा है वो ही।

मस्जिद भी है,मन्दिर भी है,
तुलसी भी है शंकर भी हैं।

वही अखवार हैं, उनमें-
ख़बर भी वो ही छपतीं हैं।

वही सड़कें जहाँ पर रोज़-
मोटर-कार लड़ती हैं।

वही हैं भीड़ से लथ-पथ,
ये सारे रास्ते सब पथ।

वही हैं खोमचे रेहडी ,
वही होटल वही हल चल।

वही आना वही जाना,
लोग दुःख दर्द के मारे |

पथों पर घूमती गायें,
वही इंसान हैं सारे।

भला बंगलौर या लखनऊ,
रहें मद्रास या दिल्ली |

सभी कुछ एक सा ही है,
नहीं कुछ और न्यारा है।

वो रहता है जो कण-कण में ,
जो रहता है सभी जन में।

सभी दर हैं उसी के प्रिय,
वही दुनिया से न्यारा है।

जहाँ पर वक्त के झोंके,
पढाते शान्ति की भाषा |

झरोखे प्रगतिं के जहाँ पर,
कर्म के कहते परिभाषा |

सिखाता धर्म अनुशासन ,
रहें हिल मिल जहाँ सब जन |

हमें अपना वतन सारा ही,
हिन्दुस्तान प्यारा है ||

10 टिप्‍पणियां:

रचना दीक्षित ने कहा…

वही सब कुछ सब जगह है,
वही मैं , तू और वह है ।

वही मिट्टी,वही पानी,
वो हवा की रीति पुरानी।

पंछी और बसंत बहारें,
भंवरे गुनु-गुनु बचन उचारें।

वही कृष्ण हैं, राम वही हैं,
राधा और घनस्याम वही

मेरे ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद
भावों की सुंदर अभव्यक्ति
बधाई

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

भला बंगलौर या लखनऊ,
रहें मद्रास या दिल्ली |

सभी कुछ एक सा ही है,
नहीं कुछ और न्यारा है।

वो रहता है जो कण-कण में ,
जो रहता है सभी जन में।

सभी दर हैं उसी के प्रिय,
वही दुनिया से न्यारा है।

जहाँ पर वक्त के झोंके,
पढाते शान्ति की भाषा |

झरोखे प्रगतिं के जहाँ पर,
कर्म के कहते परिभाषा |

सिखाता धर्म अनुशासन ,
रहें हिल मिल जहाँ सब जन |

हमें अपना वतन सारा ही,
हिन्दुस्तान प्यारा है ||

सर्प्रथम, ह्रदय से आभारी हूँ..
आप आये हमरे ब्लॉग पर और अपनी बात कही...
आपकी कविता में मुखरित भावः ह्रदय को आंदोलित कर गए..
बहुत सुन्दर..
आभार

Amit K Sagar ने कहा…

इतना ही कहूँगा कि थोड़ी सी जगह में बहुत कुछ बना दिया!

---
अंतिम पढाव पर-Friends With Benefits - रिश्तों की एक नई तान (FWB) [बहस] [उल्टा तीर]

Sunita Sharma Khatri ने कहा…

It's nice poem.....


http://swastikachunmun.blogspot.com

krishna ने कहा…

sr i am krishna i accept your coment but i can give you profe about bombai

meri soach ने कहा…

sr i am krishna i accept your comment but i want give you profe

बेनामी ने कहा…

about mumbai i want to give you profe

shyam gupta ने कहा…

बम्बई के बारे में ,बताएं-स्वागत है। जानकार बढेगी ही ।

बेनामी ने कहा…

Mahoday, Aap Sahaja Yoga Ke Blog Par Apne Vichaar Rakh Aaye The, Unhee Ke Vishay Mein Ham Yah Spasht Kar Dein Ki Sahaja Yoga Saakshaat Paramaatmaa Ke Dwaaraa Vishwa Ko Milaa Ek Aisaa Varadaan Hai Jis Se Saare Sansaar Kaa Hit, Kalyaan aur Rakshan Hone Waalaa Hai. Aap Bilkul Anabhigya Hain Yah Kitnee Shaktishaalee Cheez Hai. Atah, Apne Oopar Kripaa Karein aur Agar Aapke Praarabdh Ne Aapke Liye Sahaja Yoga Mein Aane Kee Sambhaavanayein Naheen Rakh Chhodee Hain, To Na Aayein, Lekin Is Tarah Kee Nakaaraatmak Pratikriyaaein Sahaja Yoga Ke Blog Par Rakh Kar Apne Liye Parameshwaree Dand Kaa Aahwaan Na Karen. Sahaja Yoga Aaj Vishwa Ke 150 Se Adhik Deshon Mein Ho Rahaa Hai aur Isme Samaaj Ke Saare Varg Sammilit Hain, Is Par Bhaaratvarsh Sahit Kayee Raashtron Mein Vaigyaanik Anusandhaan Ho Rahe Hain. Krishi Ke Kshetra Mein Isse Hone Waale Laabhon Par Kaee Anusandhaan Ho Chuke Hain Jisme Videshi Vaigyaanik Bhee Sammilit Hain. Chikitsaa Ke Kshetra Mein Is par Kaee Anusandhaan Ho Rahe Hain. Mumbai Mein Sthit International Sahaja Yoga Health & Research Center mein Sabhee Asaadhya Rogon Kaa Upchaar Kiyaa Jaataa Hai. Sahaja Yogiyon Kee Zindagee Mein Chamatkaar Naam Kaa Koee Shabd Hee Naheen Rahataa, Kyunki Yah To Unke Dainik Jeevan Kaa Hissa Ho Jaate Hain. In Sabhee Baaton Se Yah Siddha Hota Hai Ki Sahaja Yoga Daayini Param Poojya Shree Mataji Shree Nirmala Devi saakshaat Aadishakti, Paramaatmaa Hain. Atah, SAAVADHAAN ! AAGE SE KOEE BHEE NAKAARAATMAK PRATIKRIYAAEIN SAHAJA YOGA KE SAMBANDH MEIN NAA KAREIN!!

shyam gupta ने कहा…

anonymous jee-- मुझे नहीं पता मैने कब सहज़ योग पर अपने विचार रखे--पर आपकी मेल पढकर रखता हूं, मैने सहज़ योग पर पढा है,अधिक रुचा नहीं, सामान्य जीवन-प्रक्रियाएं ही हैं,आप क्या कहना चाहते हैं पता नहीं, पर ---
योग , योग होता है सहज़ या असहज़ नहीं--क्रियाएं व तकनीक के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं जैसे - हठ योग आदि। वैसे जहां तक मैं जानता हूं, योग - भारतीय षड दर्शनों का एक अन्ग है।