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---विज्ञान क्षेत्र से अन्यथा जिन्हें विज्ञान की जानकारी नहीं होती उन पत्रकारों , ब्लागों ,लेखकों , रिपोर्टरों की वास्तविकता क्या है , उन जानकारियों की वास्तविकता क्या है, यह आप इस समाचार से जानिये | एसे लोग कुछ का कुछ अर्थ बना देते हैं और भ्रम, आशंका व भय के स्थितिउत्पन्न होती है। जैसी अप अभी हाल में ही कुछ टी वी रिपोर्टों में भेई देख -सुन चुके हैं |वस्तुतः विशेषग्य विषयों पर पूर्ण खोज के पश्चात , सोदाहरण व उसी क्षेत्र के व्यक्तियों को लिखना बताना चाहिए | इसे शास्त्रों की भाषा में -अनाधिकार चेष्टा एवं अनाधिकारी को शास्त्र न पढने लिखने की बात कहा जाता है।
3 टिप्पणियां:
श्याम जी, यहाँ ब्लागजगत में भी यही सब हो रहा है....बच्चों की कहानियाँ,कविताएं लिखने वालें इधर-उधर से विज्ञान की अधकचरी जानकारियाँ जुटाकार अपनी गिनती विज्ञानविद, बुद्धिजीवियों में करने लगे हैं....लेकिन इन लोगों को एक नये पैसे की समझ नहीं कि वास्तव में विज्ञान किस चिडिया का नाम है!
जो शूद्र वेद पढ़े उसकी कान में पिघला हुआ सीसा दाल देना चाहिए -यही कहना चाहते हैं न डाक्टर ?
शूद्र व अनधिकारी में फ़र्क है,अनधिकारी ब्राह्मण, क्षत्री, वैश्य ,शूद्र कोई भी हो सकता है, अरविन्द जी।
---वेदों में कहीं वह बात नहीं लिखी ।
--- कह तो समाचार-प्रमाण रहे हैं हमने तो सिर्फ़ सुनाया है ।
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