ब्लॉग आर्काइव
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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...
- shyam gupta
- Lucknow, UP, India
- एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त
रविवार, 24 जनवरी 2010
देखिये हकीकत विज्ञान क्षेत्र से असंबंधित ,विज्ञान-विज्ञानं चिल्लाने वाले रिपोर्टरों -ब्लागों की --
---विज्ञान क्षेत्र से अन्यथा जिन्हें विज्ञान की जानकारी नहीं होती उन पत्रकारों , ब्लागों ,लेखकों , रिपोर्टरों की वास्तविकता क्या है , उन जानकारियों की वास्तविकता क्या है, यह आप इस समाचार से जानिये | एसे लोग कुछ का कुछ अर्थ बना देते हैं और भ्रम, आशंका व भय के स्थितिउत्पन्न होती है। जैसी अप अभी हाल में ही कुछ टी वी रिपोर्टों में भेई देख -सुन चुके हैं |वस्तुतः विशेषग्य विषयों पर पूर्ण खोज के पश्चात , सोदाहरण व उसी क्षेत्र के व्यक्तियों को लिखना बताना चाहिए | इसे शास्त्रों की भाषा में -अनाधिकार चेष्टा एवं अनाधिकारी को शास्त्र न पढने लिखने की बात कहा जाता है।
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3 टिप्पणियां:
श्याम जी, यहाँ ब्लागजगत में भी यही सब हो रहा है....बच्चों की कहानियाँ,कविताएं लिखने वालें इधर-उधर से विज्ञान की अधकचरी जानकारियाँ जुटाकार अपनी गिनती विज्ञानविद, बुद्धिजीवियों में करने लगे हैं....लेकिन इन लोगों को एक नये पैसे की समझ नहीं कि वास्तव में विज्ञान किस चिडिया का नाम है!
जो शूद्र वेद पढ़े उसकी कान में पिघला हुआ सीसा दाल देना चाहिए -यही कहना चाहते हैं न डाक्टर ?
शूद्र व अनधिकारी में फ़र्क है,अनधिकारी ब्राह्मण, क्षत्री, वैश्य ,शूद्र कोई भी हो सकता है, अरविन्द जी।
---वेदों में कहीं वह बात नहीं लिखी ।
--- कह तो समाचार-प्रमाण रहे हैं हमने तो सिर्फ़ सुनाया है ।
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