१-आप आगये
दर्दे दिल भागये।
ज़ख्म रास आगये।
तुमने पुकारा नहीं,
हमीं पास आगये।
कोइ तो बात करो,
मौसमे इश्क आगये।
जब भी ख्वाब आये,
तेरे अक्स आगये।
इबादत की खुदा की,
दिल में आप आगये ॥
२- हलचल होजाए ......
क्या ना किस पल होजाए।
जाने क्या कल होजाए।
रोकलो अश्क अपने,
यहाँ न दलदल होजाए।
अदाएं और न बिखेरो,
मन ना चंचल होजाए।
पुकारो न इतना दूर से,
श्याम 'न हलचल होजाए॥
----मेरा अन्य साहित्यिक ब्लॉग--- साहित्य श्याम ।
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- एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त
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4 टिप्पणियां:
beautiful ghazals !
मुझे तो दोनों गजल की बहर ही समझ नहीं आयी :(
अगर आप समझायेंगे तो कई नई बातें मालूम होंगी
निवेदक - वीनस
venuskesari@gmail.com
बहुत सुंदर
bahut khub
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
---वीनस जी--बहर के बारे में पूरी तरह तो मुझे भी नहीं पता, उर्दू में बहर--शायद मात्राओं, शब्दों के समूह, पन्क्तियों को ही कहते हैं, कोई बात नहीं---
"तू गाता चल ए यार, कोई कायदा न देख,
कुछ अपना ही अन्दाज़ हो, न्यारी गज़ल होती है।"
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