नेता वाणी से करें, परहित पर उपकार ।
निजी स्वार्थ में होरहा, जन धन का व्यवहार।
वे तो मेल मिलाप के लम्बरदार कहायं ।
असली पय घृत खाद्य को,नक़ल से मेल करायं।
इस जीवन में वित्त ही ,सब हित साधक होय।
श्याम जो परहित नहीं लगे,सार रहित सो होय।
जब से जग में बढ़ गया,धन और पद का मान।
गरिमा घटी समाज की, बढे माफिया डान।
इक दूजे को लूटते, लूट मची चहुँ ओर।
चोर सभी, समझें सभी , इक दूजे को चोर।
इस कलयुग में श्याम' है,सब कुछ कल आधार।
आज भोगलें कल करें, पार्टी देश सुधार।
पांच लाख की योजना, मिले चार अनुदान।
डेड लाख खर्चा करे, बाकी अपना मान।
व्यवसायी कब कर रहे, सचमुच अध्यवसाय।
छल बल और अनीति से, लूट रहे हैं मचाय।
स्वारथ भ्रष्टाचार रत, बाबू सीताराम ।
नाम डुबोये प्रभु का,भ्रमित राधिका -श्याम ।
काली करी कमाई,अरबों लिए कमाय।
क्यों घबराये चित्त में, मंदिर दे बनवाय।
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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...
- shyam gupta
- Lucknow, UP, India
- एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त
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4 टिप्पणियां:
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श्याम जी,
कलियुग में यही तो हो रहा है। नेता अपनी काली कमाई से दिन दूना रात चौगुना बढ़ रहा है , और देश गर्त में जा रहा है।
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दोहों के माध्यम से गहरी बात कहने का प्रयास।
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ईश्वर ने दुनिया कैसे बनाई?
उन्होंने मुझे तंत्र-मंत्र के द्वारा हज़ार बार मारा।
धन्यवाद,ZEAL- काली कमाई ही तो हर चीज़ की जड है..
धन्यवाद, ज़ाकिर जी--दोहा है ही तारपीडो की भांति तीब्र असर कारक...मारक.
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