....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
पिज्जा हट, केप्यूचिनो -काफी, विदेशी डिशों से सजे -- हाइपर सिटी , फेन-माल... माल संस्कृति का प्रचार..... जस्ट डांस, डांस इंडिया डांस, डांस-डांस , कौन बनेगा करोडपति.......आदि से नग्नता व धन लोलुपता का बाज़ार...... नंगे पन के टी वी सीरियल,....बदन- दिखाती हुईं तारिकाएं...... व नंगे होते हुए हीरो,....... नग्नता से भरपूर फ़िल्में ..... हेरी-पोटर के मूर्खतापूर्ण ..उपन्यास व चल-चित्र ....... महिला-उत्थान का नकली चेहरा....महिलाओं के सभी क्षेत्रों में दिन व रात रात भर कार्य-संस्कृति व ..उसकी आड में वैश्यावृत्ति का फैलता हुआ ख़ूबसूरत धंधा .... ब्रांडेड कमीज़-पेंट व दैनिक उपयोग के सामान की भोगी संस्कृति ..... तरह तरह के कारों के माडलों की भारत में उपलब्धिता...... विदेशी कंपनियों द्वारा स्व-हित में खूब-मोटी मोटी पगार...... फिर महंगे होटलों में खाना रहना, व विदेशी वस्तुओं के उपयोग का प्रलोभन..... आसानी से मिलने वाले क़र्ज़.......सस्ती विदेश यात्रा के आफर.......... चमचमाते हुए हाई-टेक आवासों के विज्ञापन..... महंगी व विदेशी होती शिक्षा .... भारतीय संस्कृति व रीति-रिवाजों को गाली देता भारतीय युवक......भारतीय व -पुरातन सब पिछडा है , पुराण पंथी है, आउट डेटेड है..कहता हुआ विदेशी कल्चर में ढला नव-युवा ....मारधाड वाले अंग्रेज़ी पिक्चरों , वीडियो- गेम्स के पीछे बिगडते हुए बच्चे .... अर्ध नग्नता के कपडे पहने ..तेजी से माल, शापिंग सेंटरों, सड़कों, बाजारों, आफिसों में मोबाइल पर लगातार बात करती लडकियां .......
ये सब उसी निम्नांकित पुराने उद्देश्य -------
की पूर्ति हित- के नवीन हथकंडे हैं...... हम कब समझेंगे...?????????
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- एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त
सोमवार, 18 जुलाई 2011
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5 टिप्पणियां:
उन्नति तो हुयी है, तब कोई भिखारी नहीं, अब इतने सारे।
आखिर कब तक ????????
सारगर्भित विचार.
भिखारी तो बढ़ ही गए हैं...वाह क्या उन्नति है...
धन्यवाद प्रवीण जी, निगम जी व वीणा जी .....सही कहा सारा देश भिखारी व कर्ज़दार होगया है....
सच है,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
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