....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
बहन ही तो भाई का प्रथम सखा होती है |
भाई ही तो बहन का होता है प्रथम मित्र,
बचपन की यादें कैसी मन को भिगोती हैं |
बहना दिलाती याद,ममता की माँ की छवि,
भाई में बहन, छवि पिता की संजोती है |
बचपन महकता ही रहे सदा यूंही श्याम ,
बहन को भाई, उन्हें बहनें प्रिय होती हैं ||
भाई औ बहन का प्यार दुनिया में बेमिसाल,
यही प्यार बैरी को भी राखी भिजवाता है |
दूर देश बसे , परदेश या विदेश में हों ,
एक एक धागे में बसा असीम प्रेम बंधन,
राखी का त्यौहार रक्षाबंधन बताता है |
निश्छल अमिट बंधन, श्याम'धरा-चाँद जैसा ,
चाँद इसीलिये चन्दामामा कहलाता है ||
रंग विरंगी सजी राखियां कलाइयों पर,
देख देख भाई हरषाते इठलाते हैं |
बहन जो लाती है मिठाई भरी प्रेम-रस ,
एक दूसरे को बड़े प्रेम से खिलाते हैं |
दूर देश बसे जिन्हें राखी मिली डाक से,
बहन की ही छवि देख देख मुसकाते हैं |
6 टिप्पणियां:
सुंदर रचना ,रक्षाबंधन की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें........
भाई औ बहन का प्यार दुनिया में बेमिसाल,
यही प्यार बैरी को भी राखी भिजवाता है |
दूर देश बसे , परदेश या विदेश में हों ,
भाइयों को यही प्यार खींच खींच लाता है |
Behad pyaree panktiyan....dua kartee hun,sabhee bhai apnee bahnon ke paas yunhee khinche chale aayen!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति है श्याम जी,
कोमल कोमल,निश्छल निर्मल.
बहुत बहुत आभार.
रक्षाबन्धन के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ.
बहुत सुन्दर सारगर्भित,
रक्षाबंधन एवं स्वाधीनता दिवस पर्वों की हार्दिक शुभकामनाएं तथा बधाई
स्नेह का अनुपम पर्व।
धन्यवाद सुनील जी, क्षमा जी,राकेश जी ,शुक्ला जी व पांडे जी...
---सभी को रक्षाबंधन पर्व की हार्दिक बधाई
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