....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
हर आदमी के सर पै बैठा आज आदमी ।
छत ढूँढता अपने ही सर की आज आदमी |
आलमारियों में बंद हों बहुरंगी खिलौने ,
आकाशी मंजिलों में बंद आज आदमी |
वो चींटियों की पंक्तियों की भांति सड़क पर,
दाने जुटाने रेंगता है आज आदमी |
लड़ते थे पेंच पतंग के, अँखियों के पेच भी |
वो खेल और खिलाड़ी ढूंढें आज आदमी |
वो खोया खोया चाँद और खुला असमान ,
ख़्वाबों में ऊंचे, भूल बैठा आज आदमी |
रंगीनियाँ छतों की होतीं जो सुबहो-शाम,
भूला वो आशिकी के मंज़र, आज आदमी |
कहने को सुख-साधन सभी,पर लीक में बंधे,
उड़ने की चाह में है उलझा आज आदमी | .
हर आदमी है त्रस्त, मगर होंठ बंद हैं,
अपने ही मकड़-जाल बंधा आज आदमी ||
अँखियों के वो झरोखे, सखियों की बातचीत,
बस श्याम' ग़ज़लों में ही पढ़ता आज आदमी ||
हर आदमी के सर पै बैठा आज आदमी ।
छत ढूँढता अपने ही सर की आज आदमी |
आलमारियों में बंद हों बहुरंगी खिलौने ,
आकाशी मंजिलों में बंद आज आदमी |
वो चींटियों की पंक्तियों की भांति सड़क पर,
दाने जुटाने रेंगता है आज आदमी |
लड़ते थे पेंच पतंग के, अँखियों के पेच भी |
वो खेल और खिलाड़ी ढूंढें आज आदमी |
वो खोया खोया चाँद और खुला असमान ,
ख़्वाबों में ऊंचे, भूल बैठा आज आदमी |
रंगीनियाँ छतों की होतीं जो सुबहो-शाम,
भूला वो आशिकी के मंज़र, आज आदमी |
कहने को सुख-साधन सभी,पर लीक में बंधे,
उड़ने की चाह में है उलझा आज आदमी | .
हर आदमी है त्रस्त, मगर होंठ बंद हैं,
अपने ही मकड़-जाल बंधा आज आदमी ||
अँखियों के वो झरोखे, सखियों की बातचीत,
बस श्याम' ग़ज़लों में ही पढ़ता आज आदमी ||
7 टिप्पणियां:
कहने को सुख-साधन सभी,पर लीक में बंधे,
उड़ने की चाह में है उलझा आज आदमी
वाह...श्याम जी अच्छे भाव समेटे हुए आपकी रचना बहुत सुन्दर बन पड़ी है लेकिन ग़ज़ल की कसौटी पर खरी नहीं उतरती...इसे ग़ज़ल न कह कर गीत कहें.
नीरज
श्याम जी,...वाह!!!बहुत ही खुबशुरत प्रस्तुती,..
मेरे पोस्ट के लिए "काव्यान्जलि" मे click करे
घिरा हुआ है आम आदमी..
बहुत खूब, बधाई.
मेरे ब्लॉग पर भी पधार कर अनुगृहीत करें.
----धन्यवाद धीरेन्द्र जी..
---धन्यवाद प्रवीण जी एवं शुक्ला जी...
------और ब्लोग में टिप्प्णी का महत्व है....
ख़ूबसूरत शब्दों से सुसज्जित उम्दा प्रस्तुती!
क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !
मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
धन्यवाद उर्मी...
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