....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
यदि हम कहें कि हमारे देश में बहुत अधिक भ्रष्टाचार है, अपराध हैं, गरीबी है, महिलाओं के प्रति अत्याचार होरहे हैं, हमारे देशवासी गरीब है , तमाम लोग टेक्स की चोरी व अपराधों में लिप्त ...तो क्या इसका अर्थ है कि यह देश का अपमान है.....क्या यह देश की अवमानना या देश-द्रोह है । सभी समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं, कविताओं, साहित्य में यह कहा जाता है, कहा जारहा है ...परन्तु किसी ने इसे देश की अवमानना नहीं कहा ।
तो क्या हमारे सांसद जो जनता व देश के सेवक हैं , हम ही इन्हें चुनकर भेजते हैं ....क्या देश से भी ऊपर हैं जो इनमें उपस्थित भ्रष्ट लोगों को भ्रष्ट नहीं कहा जा सकता है । भ्रष्ट सांसदों को भ्रष्ट कहना जो कि समाचार पत्रों व थानों तक में नामित हैं ।
सांसद .....संसद के सदस्य हैं ...स्वयं संसद नहीं अतः उनके आचरण पर उन्हें ही संसद भेजने वाली जनता का कोई व्यक्ति उंगली उठाये तो उसे संसद की अवमानना क्यों व कैसे माना जा सकता है ??? यह सोचना व इस पर अमल करना ही लोकतंत्र की...जन तंत्र की ...व राष्ट्र की अवमानना है ।
यदि हम कहें कि हमारे देश में बहुत अधिक भ्रष्टाचार है, अपराध हैं, गरीबी है, महिलाओं के प्रति अत्याचार होरहे हैं, हमारे देशवासी गरीब है , तमाम लोग टेक्स की चोरी व अपराधों में लिप्त ...तो क्या इसका अर्थ है कि यह देश का अपमान है.....क्या यह देश की अवमानना या देश-द्रोह है । सभी समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं, कविताओं, साहित्य में यह कहा जाता है, कहा जारहा है ...परन्तु किसी ने इसे देश की अवमानना नहीं कहा ।
तो क्या हमारे सांसद जो जनता व देश के सेवक हैं , हम ही इन्हें चुनकर भेजते हैं ....क्या देश से भी ऊपर हैं जो इनमें उपस्थित भ्रष्ट लोगों को भ्रष्ट नहीं कहा जा सकता है । भ्रष्ट सांसदों को भ्रष्ट कहना जो कि समाचार पत्रों व थानों तक में नामित हैं ।
सांसद .....संसद के सदस्य हैं ...स्वयं संसद नहीं अतः उनके आचरण पर उन्हें ही संसद भेजने वाली जनता का कोई व्यक्ति उंगली उठाये तो उसे संसद की अवमानना क्यों व कैसे माना जा सकता है ??? यह सोचना व इस पर अमल करना ही लोकतंत्र की...जन तंत्र की ...व राष्ट्र की अवमानना है ।
3 टिप्पणियां:
सांसद .....संसद के सदस्य हैं ...स्वयं संसद नहीं अतः उनके आचरण पर उन्हें ही संसद भेजने वाली जनता का कोई व्यक्ति उंगली उठाये तो उसे संसद की अवमानना क्यों व कैसे माना जा सकता है ??? यह सोचना व इस पर अमल करना ही लोकतंत्र की...जन तंत्र की ...व राष्ट्र की अवमानना है ।
डॉ .साहब इन सब तरह के ...........जादों को ओम्पुरिया भाषा ही समझ आती है .ये गणतंत्री चूहे देश को तिहाड़ बनाके मानेंगे .वाही इनका आइन्दा कार्यक्षेत्र कर्म क्षेत्र होगा कन्स्तित्युएन्सि होगी .
वाह बहुत खूब
आभार
धन्यवाद ...बीरूभाई जी...सभी कामन मैन के मन में यही भडास भरी हुई है...
---धन्यवाद राजपुरोहित जी...
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