अच्छा केजी, तुम्हें पता है डा. सरला भारद्वाज इन्डियन मेडीकल कोंसिल की अध्यक्ष बन गयी हैं ।
' डा. सरला ...अपने बैच में तो कोई नहीं थी।'
नहीं, पर याद करो, देखें कुछ सुधार हुआ है या नहीं । कहाँ तक पहुँच पाते हो। वे जनरल सर्जन हैं ।
' अरे वही न, एम. एस. जनरल सर्जरी में किया था और देश की पहली महिला सर्जन हैं । सीनियर बीच की डा. भारद्वाज ।'
हाँ, वही । वाह ! याददास्त सुधर गयी है, क्या बात है । अभी कल की ही तो बात लगती है जब कालिज में गरमा-गर्म खबर फ़ैली थी की कालिज के इतिहास में पहली बार किसी महिला डाक्टर ने एम् एस शल्य चिकित्सा में करने का निश्चय किया है और वह भी ग्रेजुएशन में टापर ने। जो कई पदक प्राप्त हैं ।
और हम लोग आउट-डोर व वार्ड में विशेष रूप से देखने जाते थे कि वे कैसे काम कर रही हैं , कौन बोल्ड लेडी हैं ।
कालिज व अस्पताल में काफी समय तक बहस चलाती रही कि वे सर्जरी में चल पाएंगी कि नहीं । कई बार तो लडके-लड़कियों में काफी तकरार भी हुई कि ' हम किसी से कम नहीं '- और तुम चमगादड़ की भाँति पाले बदलते रहते थे ।' वह हंसकर कहने लगी , ' फिर मुझे बचाव करना पड़ता था ।'
हाँ, हाँ, मैंने टालते हुए कहा , ' पर आगे अन्य महिला डाक्टरों ने कहाँ अधिक दिलचस्पी दिखाई इस क्षेत्र में । वही अपने स्त्री -चिकित्सा व बाल-चिकित्सा या पेरा-मेडीकल विषयों में ही जाती रहीं ।
परन्तु 'इक दिया है बहुत रोशनी के लिए' उन्होंने तो पीछे मुड़कर नहीं देखा । देश की प्रथम महिला सर्जन बनीं, दिल्ली विश्व-विद्यालय की 'डीन ' और आज सर्वोच्च पद पर । देश-विदेश में खूब नाम कमाया । अब तो तमाम महिला चिकित्सक हैं इस फील्ड में ।'
' बड़ी अच्छी धमाकेदार खबर है, सुमि !'
'मुझे पता था तुम सुनकर खुश होगे ।' सुमि मुस्कुराकर कहने लगी,' उस दिन भी वो खबर मैंने ही दी थी सबसे पहले तुम्हें । याद है जब भी एसी कोई नयी बात होती या सुनते तो तुम गुनगुनाया करते थे....
" मोड़ जायेंगे जमाने की कई राहों को,
करके नए रंग जमाने की नज़र जायेंगे ।"
' वाह ! तुम्हें याद है अभी तक ये शेर ।' मैंने आश्चर्य से कहा ।
कैसे और क्यों भूलूँ ? क्या सबसे पहले मेरे लिए नहीं कहा गया था । पर अब तो वह पूरी ग़ज़ल होगई होगी । सुनाओ न, वह आग्रहपूर्वक बोली । मैंने सुनाया --
" अपने अशआर में हमने तो संजोया है जहां ,
मुड़के चल देगा मेरे साथ जहां जायेंगे ।
बात मेरी न सुने सारा ज़माना चाहे ,
चन्द जाहिद तो सुनेंगे औ सुधर जायेंगे ।
बात तेरी हो मेरे प्यार, मेरे देश अगर,
हम तो दीवानगी की हद से गुज़र जायेंगे ।
मेरी यादों में न लग पाएंगे मेले लेकिन,
तेरी गलियों में किये याद मगर जायेंगे ।
केजी' इक रोज़ चले जायेंगे ज़हाँ से लेकिन ,
बन के खुशबू तो ज़माने में बिखर जायेंगे ।। "
'कब जा रही हो हो ? ' मैंने पूछा तो मुस्कुराती हुई कहने लगी ...
" बात मीठी हो या तीखी हो, तेरी हो अगर,
तेरी हर बात पै चाहोगे तो मर जायेंगे ।"
आपने पूछा है कि अब आप चले जायेंगे ,
आप कह देंगे कि रुक जाओ तो रुक जायेंगे । "
और वह कोहनी रेत पर टिकाकर, हाथों पर चेहरे को रखकर मुस्कुराने लगी । बोली , ' आज शाम को चार बजे की फ्लाईट से जारही हूँ, यहाँ का कार्य जल्दी समाप्त होगया । '
" रास्ते तय हैं, और तय हैं मंजिलें भी केजी,
अपनी अपनी राह यूंही साथ चलते जायेंगे ।"......मैंने कहा तो हंसकर बोली,....वाह ! क्या बात है, अभी भी दम है। हाथ चूमने को, पैर छूने को दिल चाहता है तुम्हारे तो केजी ! वह दोनों हाथ जोड़कर, सर झुका कर कह गयी......
" दिल की लगी इस दिल्लगी पर
क्यों न मर जाये कोई ।"
और वह खिलखिलाकर हंसी तो हंसती ही चलेी गयी ।दो बज रहे हैं, मैंने याद दिलाया ।
ओह! वह चुप होते हुए बोली , ' समय कितनी जल्दी बीत गया ?'
’एयरपोर्ट छोड़ने चलूँ’
' हाँ ।'
हम टैक्सी लेकर सुमि के गेस्ट हाउस होते हुए एयरपोर्ट पहुंचे । सुमि ने पूछा--
' याद करोगे ?'
’नहीं’ , मैंने कहा ---
" दिल में ही सूरत बसी है यार की ,
जब ज़रा गर्दन झुकाई देख ली।"
लाउंज के कोने में खड़े होकर अचानक सुमि ने कहा, " मुझे किस करो कृष्ण ! "
” क्या कह रही हो, क्या पागलपन है सुमि !’ मैंने आश्चर्य से कहा ।
'आज मैं ही कह रही हूँ । यही कहा था न तुमने पहली मुलाक़ात में ?' वह सोचती हुई बोली ।
मैंने होठों से उसके माथे को छुआ तो वह खिलखिलाकर हंस पडी। 'मैं क़र्ज़ मुक्त हुई केजी। अब चैन से जा सकूंगी, कहीं भी ।' वह गहराई तक मेरी आँखों में झांकते हुए बोली ।
'और अब तक का सूद ।' मैंने हंसते हुए कहा ।
’अगले जन्म में ।’
’आशा है अगले जन्म में भी हम पक्के मित्र रहेंगे ।’ मैंने अनायास ही कहा ।
'नहीं, पति-पत्नी ।'
’ व्हाट ?... क्या !’
'अगले जन्म की प्रतीक्षा करो, केजी ।' और वह तेजी से बोर्डिंग लाउंज में प्रवेश कर गयी ।
------------ अंक नौ समाप्त , क्रमश अंक दस ....अगली पोस्ट में ।
3 टिप्पणियां:
मैंने होठों से उसके माथे को छुआ----
'नहीं, पति-पत्नी ।'
’ व्हाट ?... क्या !’
'अगले जन्म की प्रतीक्षा करो, केजी ।'
बहुत सुन्दर कथा ||
आभार श्रीमान जी ||
बहुत सुंदर उम्दा प्रस्तुति,....
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MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....
धन्यवाद रविकर व धीरेन्द्र जी....
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