....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
१------------व्यर्थ के कार्यों व उनसे सेलिब्रिटी बनने के अकर्म का यह हश्र होता है ...संसार का क्या है हंस-सुन कर अपने काम से..... परन्तु अपने कर्मों का भोग तो व्यक्ति को स्वयं भोगना पडता है ..मरने के बाद भी जग-हँसाई व अपमान द्वारा.....
२- अपनी क्षमता से अधिक ऊंचा उड़ने की ख्व्वाहिश व दूसरों के सहारे उठने व उड़ने की आकांक्षा ..व्यर्थ के कार्य ...अकर्म ...होती है | इसका अधिकाँश परिणाम यही होता है-----
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