....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
न जाने लोग (--अधिकतर मीडिया वाले एवं राजनेता ) राजनीति को क्यों बुरा समझते हैं और इन दोनों के आंदोलन को राजनीति में आने से बुरा क्यों मानते हैं | क्या राजनीति कोई अछूत वस्तु है जिसमें सिर्फ चोर-लुटेरों, भ्रष्ट, अनैतिक लोगों को ही आना चाहिए....या यह कोई व्यवसाय या खानदानी व्यवसाय है जो वही घिसे -पिटे, घाट-घाट का पानी पिए हुए, भ्रष्ट लोगों को....पिता -पुत्र -पत्नी वाले पीढ़ियों -परिवारों ही आना चाहिए |
हम भूल जाते हैं कि प्रत्येक जन-आंदोलन ..अंतत: राजनीति की राह से ही गुजरता है .....और व्यवस्था परिवर्तन की प्रथम राह राजनैतिक सत्ता परिवर्तन ही होता है | इतिहास उदाहरण है कि परशुराम की क्रान्ति, राम का जन आंदोलन, कृष्ण का जन-नीति आंदोलन, महात्मा गांधी का सत्याग्रह, जेपी आंदोलन जिन्होंने सामयिक सरकार की नींव हिलाकर रखदी , सत्ता को पदच्युत करके ही सफलता पाई |.....यदि राजनीति में अच्छे, सच्चे, पढ़े-लिखे, विद्वान, नीतिवान व्यक्ति नहीं आयेंगे तो उसे सही दिशा कैसे प्राप्त होगी ?
आखिर देश की राजनीति को दिशा विद्वान, ईमानदार, विज्ञ व्यक्ति, सत्ता से बाहर वाले व्यक्तित्व ही तो देंगे न कि सता-शासन में बैठे हुए भ्रष्ट लोग और मीडिया के आधे-अधूरे जानकार अर्ध-ज्ञानी पत्रकार |
न जाने लोग (--अधिकतर मीडिया वाले एवं राजनेता ) राजनीति को क्यों बुरा समझते हैं और इन दोनों के आंदोलन को राजनीति में आने से बुरा क्यों मानते हैं | क्या राजनीति कोई अछूत वस्तु है जिसमें सिर्फ चोर-लुटेरों, भ्रष्ट, अनैतिक लोगों को ही आना चाहिए....या यह कोई व्यवसाय या खानदानी व्यवसाय है जो वही घिसे -पिटे, घाट-घाट का पानी पिए हुए, भ्रष्ट लोगों को....पिता -पुत्र -पत्नी वाले पीढ़ियों -परिवारों ही आना चाहिए |
हम भूल जाते हैं कि प्रत्येक जन-आंदोलन ..अंतत: राजनीति की राह से ही गुजरता है .....और व्यवस्था परिवर्तन की प्रथम राह राजनैतिक सत्ता परिवर्तन ही होता है | इतिहास उदाहरण है कि परशुराम की क्रान्ति, राम का जन आंदोलन, कृष्ण का जन-नीति आंदोलन, महात्मा गांधी का सत्याग्रह, जेपी आंदोलन जिन्होंने सामयिक सरकार की नींव हिलाकर रखदी , सत्ता को पदच्युत करके ही सफलता पाई |.....यदि राजनीति में अच्छे, सच्चे, पढ़े-लिखे, विद्वान, नीतिवान व्यक्ति नहीं आयेंगे तो उसे सही दिशा कैसे प्राप्त होगी ?
आखिर देश की राजनीति को दिशा विद्वान, ईमानदार, विज्ञ व्यक्ति, सत्ता से बाहर वाले व्यक्तित्व ही तो देंगे न कि सता-शासन में बैठे हुए भ्रष्ट लोग और मीडिया के आधे-अधूरे जानकार अर्ध-ज्ञानी पत्रकार |
2 टिप्पणियां:
यह बात हम भी नहीं समझ रहे की यदि ये लोग राजनीती में आगये तो इसमें हाय तौबा वाली कौन सी बात हो गई यह तो देश के लिए अच्छा ही होगा की साफ़ सुथरी छवि वाले लोग राजनाति में आयेंगे ---आपने बहुत अच्छे मुद्दे पर प्रकाश डाला है ---हार्दिक बधाई
धन्यवाद रविकर एवं राजेश कुमारी जी ....
एक टिप्पणी भेजें