....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
आजकल हर मोहल्ला , कोलोनी, क्षेत्र , मल्टी स्टोरी बिल्डिंग सभी में गणेश की मूर्ति की स्थापना का कारोबार जोर शोर से चल रहा है......सबसे अच्छी मूर्ति....पंडाल, सजावट, तरह तरह के कल्चुरल प्रोग्राम, तथाकथित सेलीब्रिटी--हीरो-हीरोइन, क्रिकेट खिलाड़ी आदि को बुलाकर भीड़ एकत्र करना .....महाप्रसाद में शानदार डिनर ...आदि से ..... शान -बान का दिखावटी आयोजन ...वह भी चन्दा एकत्र करके ( जो प्रायः लोग जबरदस्ती देते हैं...मन ही मन कुडकुड़ाते हुए...सिवाय कुछ सम्पन्नता के दिखावटी लोगों के....) करने की होड सी लगी हुई है ..कि हम पीछे न रह जायं ....हमारा भी नाम हो ....यहाँ तक कि उच्च शिक्षित लोग एवं युवा भी ( जो धर्म-ज्ञान -वेद-पुराण -शास्त्र --भारतीयता व अनुभवी बड़े-बूढों के नाम से नाक-मुंह सिकोडते हैं ) एसी आयोजनों में बढ़-चढ कर भाग लेरहे हैं | यह अज्ञान एवं भेड -चाल का जीवंत उदाहरण है | क्या भीड़ गणेश के लिए नहीं ...खाने ..कल्चुरल प्रोग्राम ...डिगग्निटेरी को देखने आती है ..यदि ऐसा है तो गणेश -उत्सव का दिखावा क्यों | पूजा का दिखावा-बहाना क्यों |
यह दिखावा नहीं है तो और क्या है ..... क्या भीड़ एकत्र करना ..दिखावा... हमारा या इन सभी उत्सवों उद्देश्य है या भगवान गणपति ( अन्य सभी भगवानों के लिए भी) के गुणों, आचरणों को जीवन में उतारना ...क्या गणेश पूजा के अवसर पर हम ज्ञानियों -वक्ताओं द्वारा विभिन्न व्याख्यान, उपाख्यान व सम्बंधित कथाओं आयोजनों आदि द्वारा गणपति के गुणों, आचरणों का जन जन में प्रसार नहीं कर सकते बजाय भीड़ एकत्रित करने के व व्यर्थ में दिखावटी कार्यों में धन व्यर्थ करने के ताकि ज्ञान प्रसार का पुण्य मिल सके | उपरोक्त चित्र-समाचार के मंदिर की भांति ....जहां भक्ति का नया रूप विक्सित होरहा है....|
आजकल हर मोहल्ला , कोलोनी, क्षेत्र , मल्टी स्टोरी बिल्डिंग सभी में गणेश की मूर्ति की स्थापना का कारोबार जोर शोर से चल रहा है......सबसे अच्छी मूर्ति....पंडाल, सजावट, तरह तरह के कल्चुरल प्रोग्राम, तथाकथित सेलीब्रिटी--हीरो-हीरोइन, क्रिकेट खिलाड़ी आदि को बुलाकर भीड़ एकत्र करना .....महाप्रसाद में शानदार डिनर ...आदि से ..... शान -बान का दिखावटी आयोजन ...वह भी चन्दा एकत्र करके ( जो प्रायः लोग जबरदस्ती देते हैं...मन ही मन कुडकुड़ाते हुए...सिवाय कुछ सम्पन्नता के दिखावटी लोगों के....) करने की होड सी लगी हुई है ..कि हम पीछे न रह जायं ....हमारा भी नाम हो ....यहाँ तक कि उच्च शिक्षित लोग एवं युवा भी ( जो धर्म-ज्ञान -वेद-पुराण -शास्त्र --भारतीयता व अनुभवी बड़े-बूढों के नाम से नाक-मुंह सिकोडते हैं ) एसी आयोजनों में बढ़-चढ कर भाग लेरहे हैं | यह अज्ञान एवं भेड -चाल का जीवंत उदाहरण है | क्या भीड़ गणेश के लिए नहीं ...खाने ..कल्चुरल प्रोग्राम ...डिगग्निटेरी को देखने आती है ..यदि ऐसा है तो गणेश -उत्सव का दिखावा क्यों | पूजा का दिखावा-बहाना क्यों |
यह दिखावा नहीं है तो और क्या है ..... क्या भीड़ एकत्र करना ..दिखावा... हमारा या इन सभी उत्सवों उद्देश्य है या भगवान गणपति ( अन्य सभी भगवानों के लिए भी) के गुणों, आचरणों को जीवन में उतारना ...क्या गणेश पूजा के अवसर पर हम ज्ञानियों -वक्ताओं द्वारा विभिन्न व्याख्यान, उपाख्यान व सम्बंधित कथाओं आयोजनों आदि द्वारा गणपति के गुणों, आचरणों का जन जन में प्रसार नहीं कर सकते बजाय भीड़ एकत्रित करने के व व्यर्थ में दिखावटी कार्यों में धन व्यर्थ करने के ताकि ज्ञान प्रसार का पुण्य मिल सके | उपरोक्त चित्र-समाचार के मंदिर की भांति ....जहां भक्ति का नया रूप विक्सित होरहा है....|
1 टिप्पणी:
सद्गुणों को आचरण में लाये बिना कोई उपाय नहीं है।
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