....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
"जो अतीत की सुहानी गलियों की स्मृतियों के परमानंद , भविष्य की आशापूर्ण कल्पना की सुगंधि के आनंद एवं वर्तमान के सुख-दुःख-द्वंद्वों से जूझने के सुखानंद की साथ जीता है........वही जीता है |"
श्याम स्मृति -२.......यह भारत देश है मेरा .......
यह भारतीय धरती व वातावरण का ही प्रभाव है कि मुग़ल जो एक अनगढ़, अर्ध-सभ्य, बर्बर घुडसवार आक्रमणकारियों की भांति यहाँ आये थे वे सभ्य, शालीन, विलासप्रिय, खिलंदड़े, सुसंस्कृत लखनवी -नजाकत वाले लखनऊआ नवाब बन गए | अक्खड-असभ्य जहाजी ,सदा खड़े -खड़े , भागने को तैयार, तम्बुओं में खाने -रहने वाले अँगरेज़ ...महलों, सोफों, कुर्सियों को पहचानने लगे |
यह वह देश है जहां प्रेम, सौंदर्य, नजाकत, शालीनता... इसकी संस्कृति, में रचा-बसा है, इसके जल में घुला है, वायु में मिला है और खेतों में दानों के साथ बोया हुआ रहता है | प्रेम-प्रीति यहाँ की श्वांस है और यहाँ की हर श्वांस प्रेम है |
यह पुरुरवा का, कृष्ण का, रांझे का, शाहजहां का और ताजमहल का देश है.....|
श्याम स्मृति -१ ...... वही जीता है |
"जो अतीत की सुहानी गलियों की स्मृतियों के परमानंद , भविष्य की आशापूर्ण कल्पना की सुगंधि के आनंद एवं वर्तमान के सुख-दुःख-द्वंद्वों से जूझने के सुखानंद की साथ जीता है........वही जीता है |"
श्याम स्मृति -२.......यह भारत देश है मेरा .......
यह भारतीय धरती व वातावरण का ही प्रभाव है कि मुग़ल जो एक अनगढ़, अर्ध-सभ्य, बर्बर घुडसवार आक्रमणकारियों की भांति यहाँ आये थे वे सभ्य, शालीन, विलासप्रिय, खिलंदड़े, सुसंस्कृत लखनवी -नजाकत वाले लखनऊआ नवाब बन गए | अक्खड-असभ्य जहाजी ,सदा खड़े -खड़े , भागने को तैयार, तम्बुओं में खाने -रहने वाले अँगरेज़ ...महलों, सोफों, कुर्सियों को पहचानने लगे |
यह वह देश है जहां प्रेम, सौंदर्य, नजाकत, शालीनता... इसकी संस्कृति, में रचा-बसा है, इसके जल में घुला है, वायु में मिला है और खेतों में दानों के साथ बोया हुआ रहता है | प्रेम-प्रीति यहाँ की श्वांस है और यहाँ की हर श्वांस प्रेम है |
यह पुरुरवा का, कृष्ण का, रांझे का, शाहजहां का और ताजमहल का देश है.....|
2 टिप्पणियां:
बहुत ही रोचक अवलोकन..
धन्यवाद पांडे जी....
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