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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

सोमवार, 19 नवंबर 2012

सृष्टि महाकाव्य--पंचम सर्ग--अशान्ति खन्ड ( भाग तीन ) --डा श्याम गुप्त

                                  ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
   

सृष्टि महाकाव्य ..पंचम सर्ग...तृतीय भाग...
             सृष्टि महाकाव्य-(ईषत- इच्छा या बिगबेंग--एक अनुत्तरित उत्तर )--
       

                 
पंचम सर्ग अशांति खंड में अब तक-अणु, परमाणु, पदार्थ के त्रिआयामी कण , मूल-पदार्थ , समय अंतरिक्ष कैसे बने इसका वैदिक विज्ञान सम्मत व्याख्या का वर्णन किया गया था इस तृतीय अंतिम भाग -छंद २७ से ३७ तक--में आधुनिक विज्ञान के अनुसार , बिग बेंग के पश्चात परमाणु, अणु, पदार्थ आदि कैसे बने इसका वर्णन किया गया है----
२७-
कहता है विज्ञान , आदि में ,
कहीं नहीं था कुछ भी स्थित।
एक महाविष्फोट1 हुआ था,
अंतरिक्ष में और बन गए ;
सारे कण-प्रतिकण,प्रकाश कण,
फिर सारा ब्रह्माण्ड बन गया॥
२८-
एक महा विष्फोट हुआ जब,
अंतरिक्ष, उस महाकाश में;
एक हजारवें भाग में पल के,
तापमान अतिप्रबल होगया।
और आदि ऊर्जा-कण सारे,
लगे फैलने अंतरिक्ष में॥
२९-
ऊर्जा कण, उस प्रबल ताप से,
विकिरण ऊर्जा भाव हुए थे।
क्रमश: तापमान घटने से,
प्रारम्भिक कण-रूप बन गए।
हलके, भारी,भार रहित कुछ-
विद्युतमय,कुछ उदासीन थे॥
३०-
तापमान गिरते जाने से,
हलके- कण, संयुक्त होगये
ऋणकण,धनकण,उदासीनकण
और प्रकाशकण-रूप बन गए।
प्रति सहस्र हलके उपकण से ,
बना एक परमाणु-पूर्व कण
३१-
तापमान अति न्यून हुआ जब,
धनकण, उदासीन कण सारे,
जो परमाणु पूर्व के कण थे;
हो संयुक्त परमाणु बन गए।
हाइड्रोजन, हीलियम गैस थे,
दृव्य-प्रकृति के प्रथम रूप कण
३२-
हाइड्रोजन, हीलियम गैस कण,
शेष रहे परमाणु प्रतिकण ;
और प्रकाश कण , शेष ऊर्जा,
मिलकर बने, विविध तारागण-
तारामंडल,ग्रह, नीहारिका ;
इस प्रकार ब्रह्माण्ड बन गया॥
३३-
लेकिन यह विष्फोट क्यों हुआ,
कहाँ और किस शक्ति के द्वारा।
आदि -ऊर्जा स्रोत कहाँ था,
अंतरिक्ष भी कहाँ था स्थित।
इन सारे प्रश्नों के उत्तर,
अभी नहीं विज्ञान दे सका॥
३४-
स्थित-प्रज्ञ सिद्दांत अन्य है,
जैसा है ब्रह्माण्ड आज यह,
सदा, सर्वदा वैसा रहता
नव-प्रसार से, रिक्त खंड में,
नव-पदार्थ है बनता जाता;
यह ब्रह्मांड वही रहता है॥
३५-
लेकिन वह पदार्थ बनता है,
भला कहाँ से, कैसे बनता;
और प्रथम ब्रह्माण्ड कहाँ था,
कहाँ और कैसे बन पाया।
इन सारे प्रश्नों के उत्तर,
अभी नहीं विज्ञान दे सका॥
३६-
क्या भविष्य है,सृष्टि लय का,
कहता है विज्ञान, अनिश्चित
अति शीतल हो अंतरिक्ष जब ,
लगे सिकुड़ने यह ब्रह्माण्ड।
पुनः बिखरकर बन जाता है,
अणु, परमाणु, आदि-कण, ऊर्जा॥
३७-
इस बिखरे समूह से बनता ,
एक ठोस अति सघन पिंड,उस-
महाशीत और अन्धकार में।
बन जाती है पुनः भूमिका ,
एक नए विष्फोट की फिर से,
रचने पुनः नया ब्रह्माण्ड॥                  ----क्रमश : सर्ग ..........

{
कुंजिका---=बिगबेंग -सृष्टि उत्पत्ति का आधुनिक विज्ञान का सिद्धांत ; = अत्यंत उच्च- ताप , १०० बिलियन से-; =इलेक्ट्रोन , न्यूट्रोन, प्रोटोन स्वतंत्र ऊर्जा ; = परमाणु पूर्व के कण, = एक प्रोटोन वाले हीलियम हाइड्रोजन गैस के आदि कण जो द्रव्य जगत के प्रथम कण हुए, जिनसे बाद में समस्त पदार्थ बने। ; = सृष्टि का सम-स्थिति सिद्धांत ( बिग बेंग के अलावा आधुनिक विज्ञान का एक अन्य सिद्धांत )}
    
                           ---सृष्टि महाकाव्य---पंचम सर्ग---समाप्त- षष्ठ सर्ग---अगले अंक में ..
 

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