....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
श्याम स्मृति तरंग .....
१.पापा व कन्या भ्रूण हत्या ...
आया पर यह कहां से, पापा नामक कीट,
नाना कर देता अगर उसकी मां को शहीद।
उसकी मां को शहीद,कहां फ़िर मामा होता ,
जग के रिश्ते, ताम-झाम भी कुछ ना होता।
चलती कैसे श्याम भला यह जग की माया,
सोचे मन में पापा, स्वयं कहां से आया |
२ . कन्या-पुत्र न कोई अंतर......
चौपाई....
जिसका जैसा भाग्य लिखा है, वही कर्म का लेख दिखाहै|
कन्या-पुत्र न कोई अंतर, झाडू हो या कलम तदन्तर |
कवित्त छंद...
"तेरे करने से कुछ होता नहीं कार्य यहाँ,
आप शुभ कर्म न्याय रीति-नीति कीजिये |
होता जिस जातक का जैसा भाग्येश यथा,
होता वही, आप झाडू या कलम दीजिए |
पर होता माता-पिता का भी कुछ धर्म'श्याम,
आप भी संतान हित, निज कर्म कीजिये |
कन्या और पुत्र में न कीजै कोई भेद-भाव,
दोनों को समान-भाव पाल-पोस लीजिए ||
श्याम स्मृति तरंग .....
१.पापा व कन्या भ्रूण हत्या ...
आया पर यह कहां से, पापा नामक कीट,
नाना कर देता अगर उसकी मां को शहीद।
उसकी मां को शहीद,कहां फ़िर मामा होता ,
जग के रिश्ते, ताम-झाम भी कुछ ना होता।
चलती कैसे श्याम भला यह जग की माया,
सोचे मन में पापा, स्वयं कहां से आया |
२ . कन्या-पुत्र न कोई अंतर......
चौपाई....
जिसका जैसा भाग्य लिखा है, वही कर्म का लेख दिखाहै|
कन्या-पुत्र न कोई अंतर, झाडू हो या कलम तदन्तर |
कवित्त छंद...
"तेरे करने से कुछ होता नहीं कार्य यहाँ,
आप शुभ कर्म न्याय रीति-नीति कीजिये |
होता जिस जातक का जैसा भाग्येश यथा,
होता वही, आप झाडू या कलम दीजिए |
पर होता माता-पिता का भी कुछ धर्म'श्याम,
आप भी संतान हित, निज कर्म कीजिये |
कन्या और पुत्र में न कीजै कोई भेद-भाव,
दोनों को समान-भाव पाल-पोस लीजिए ||
2 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर रचनायें
dhanyavad pande jee....
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