...कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
अमीर महिलायें |
गरीब महिलायें |
प्राचीन काल से एवं अभी हाल के पुराने जमाने तक ...... पहनावे एवं धनी -निर्धनता में एक तुलनात्मक संगति देखी जाती थी ....गरीब लोग जिनपर धन नहीं होता था उसी के अनुसार सिर्फ लंगोटी, सिर्फ
धोती , सिर्फ अधोवस्त्र या सिर्फ एक एक-वस्त्र पहना करते थे .......एवं अमीर लोग ..अपने धन के अनुसार ...अधोवस्त्र पर ऊपर से अन्य वस्त्र , धोती-कुर्ता, शाल, दुपट्टा, पगड़ी, अचकन, शेरवानी , कोट , ओवरकोट , पेंट-कोट , लहंगा-ब्लाउज- फ़रिया ,सारी-ब्लाउज़, शाल ....कई-कई कपडे पहनते थे...अधिकाँश या पूरे अंग को ढकने हेतु |
आज ---- गरीब लोग ...नौकर, सेवक, , सेविकाएँ, वर्तन मांजने, रोटी करने वालियां , आयाएँ सामान्य जन...सभी सारे अंग ढकने वाले परिधान पहनते हुए देखे जाते हैं....जबकि अमीर, पढ़े-लिखे लोग ..कम से कम वस्त्र ... पहने हुए नज़र आते हैं | पुरुष तो सारे शरीर को ( कुछ योरोप अमरीका परस्त नकलची...नेकर -सोर्ट्स ..में भी घूमते हुए देखे जा सकते हैं ) परन्तु स्त्रियाँ... पेंट-शोर्ट टॉप, हाफ-पेंट, मिनी-स्कर्ट-नाभि दर्शना व पयोधर दर्शना टॉप, यहाँ तक कि बिना अधोवस्त्र के ....|
------------------------ आखिर क्यों ??
चित्र - गूगल साभार...
2 टिप्पणियां:
यही विडम्बनायें हैं जो अनुत्तरित हैं।
उत्तर शायद इसमें है कि हम अपनी ( या कहीं की भी पर सत्यं, शिवं, सुन्दरं पर आधारित ) संस्कृति व सभ्यता को भूलते जा रहे हैं.....
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