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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

शुक्रवार, 4 जनवरी 2013

गरीब , अमीर , पहनावा ---तब और अब ....डा श्याम गुप्त ...




...कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...

                                  






                         





 








अमीर महिलायें



गरीब महिलायें













प्राचीन काल से एवं अभी  हाल के पुराने जमाने तक ...... पहनावे एवं धनी -निर्धनता  में एक तुलनात्मक संगति  देखी जाती थी ....गरीब लोग  जिनपर धन नहीं होता था उसी के अनुसार सिर्फ लंगोटी,  सिर्फ
धोती ,  सिर्फ अधोवस्त्र या सिर्फ एक एक-वस्त्र  पहना करते थे .......एवं अमीर लोग ..अपने धन के अनुसार ...अधोवस्त्र पर ऊपर से अन्य  वस्त्र , धोती-कुर्ता,  शाल, दुपट्टा, पगड़ी, अचकन, शेरवानी , कोट , ओवरकोट , पेंट-कोट , लहंगा-ब्लाउज- फ़रिया ,सारी-ब्लाउज़, शाल ....कई-कई कपडे पहनते थे...अधिकाँश या पूरे अंग को ढकने हेतु  |
                         आज ---- गरीब लोग ...नौकर, सेवक, , सेविकाएँ, वर्तन मांजने, रोटी करने वालियां , आयाएँ सामान्य जन...सभी  सारे अंग ढकने वाले परिधान पहनते हुए देखे जाते हैं....जबकि अमीर, पढ़े-लिखे लोग ..कम से कम वस्त्र ... पहने  हुए नज़र आते हैं |  पुरुष तो सारे शरीर को ( कुछ योरोप अमरीका परस्त नकलची...नेकर -सोर्ट्स ..में भी घूमते हुए देखे जा सकते हैं ) परन्तु स्त्रियाँ... पेंट-शोर्ट टॉप, हाफ-पेंट, मिनी-स्कर्ट-नाभि दर्शना व पयोधर दर्शना  टॉप, यहाँ तक कि बिना अधोवस्त्र के ....|

------------------------  आखिर क्यों ?? 

         चित्र - गूगल साभार...

2 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

यही विडम्बनायें हैं जो अनुत्तरित हैं।

shyam gupta ने कहा…

उत्तर शायद इसमें है कि हम अपनी ( या कहीं की भी पर सत्यं, शिवं, सुन्दरं पर आधारित ) संस्कृति व सभ्यता को भूलते जा रहे हैं.....